सुपौल। बिहार की धरती को संस्कार और सत्कार की भूमि कहा जाता है। यही भूमि माता सीता और प्रभु श्रीराम जैसे महान चरित्रों की गवाह रही है। लेकिन आज बदलते समय में समाज और संस्कृति का स्वरूप विकृत होता जा रहा है। इसी पर गहरी चिंता जताई है प्रसिद्ध लोकगायिका प्रिया मल्लिक ने।
प्रिया मल्लिक ने कहा कि भोजपुरी संगीत, जो कभी देवर-भाभी के रिश्ते की मर्यादा और होली जैसे पवित्र त्योहारों की मिठास से भरा होता था, अब अश्लीलता की चपेट में आ चुका है। उन्होंने कहा कि पहले राम-सीता के मनमोहक गीत बजते थे, जिन्हें पूरा परिवार एक साथ बैठकर सुन सकता था, लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि इन गानों को परिवार के साथ सुनना मुश्किल हो गया है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वर्तमान में जो अश्लील गाने बनाए जा रहे हैं, वह महज "कैरेक्टर" नहीं हैं, बल्कि समाज पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। ये गाने सॉफ्ट पोर्न की तरह परोसे जा रहे हैं, जिन्हें लोग चुपके-चुपके देखते हैं। उन्होंने भारत के पोर्न व्यूअरशिप में दुनिया में दूसरे स्थान पर होने की बात करते हुए इसे गंभीर सामाजिक समस्या बताया।
प्रिया मल्लिक ने कहा कि होली, सरस्वती पूजा जैसे पवित्र पर्वों में भी अब खुलेआम अश्लील गाने बजाए जा रहे हैं, जो अत्यंत शर्मनाक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सिर्फ व्यूज और पॉपुलैरिटी के लिए कोई भी स्तर गिराना उचित है? उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसे गाने बनाकर खुद को ट्रेंडिंग स्टार मानते हैं, वह खुद भी इन्हें अपने परिवार के साथ नहीं देख सकते।
उन्होंने हाल ही की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह कुछ माननीय विधायक स्टेज पर अश्लीलता फैलाते नजर आए और लड़कियों के गाल पर नोट छापते देखे गए। बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया कि क्या सिर्फ बोल देना काफी है कि ऐसा नहीं होना चाहिए? कार्रवाई कब होगी?
प्रिया मल्लिक ने अपील की कि समाज में मर्यादा, संस्कृति और परंपराओं को बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, "बिगाड़ के डर से ईमान की बात तो नहीं छोड़ देंगे न।" इस गंभीर विषय पर अब चुप्पी नहीं, आवाज़ उठाने का समय है।
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