सुपौल। न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए मंगलवार को मंडल कारा सुपौल में विशेष विधिक निरीक्षण अभियान चलाया गया। यह पहल सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश एवं पटना उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के मार्गदर्शन में की गई।
निरीक्षण दल का नेतृत्व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के सचिव सह अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम गुरुदत्त शिरोमणि ने किया। उनके साथ उच्च न्यायालय के पैनल अधिवक्ता उपेन्द्र प्रसाद सिंह, बिनोद कुमार, जेल अधीक्षक मोतीलाल, जेलर शंभु दास, संजय कुमार, कन्हैया प्रसाद सिंह, गणेश कुमार चौधरी, सौरभ मोहन ठाकुर, प्रशांत कुमार तथा लिपिक पंकज कुमार झा समेत कई अन्य सदस्य उपस्थित थे।
निरीक्षण के दौरान मंडल कारा के सभी वार्डों का गहन अवलोकन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कारागार में निरुद्ध विचाराधीन एवं सजायाफ्ता बंदियों को समय पर और उचित विधिक सहायता उपलब्ध कराना था।
समिति द्वारा चार प्रमुख श्रेणियों की पहचान की गई, जिनमें विशेष रूप से 70 वर्ष से अधिक आयु के वे बंदी शामिल हैं, जिनकी याचिकाएं अब तक उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में दायर नहीं हो सकी हैं।
निरीक्षण में यह भी पाया गया कि कई बंदियों की याचिकाएं जरूरी दस्तावेजों की कमी या वकालतनामा के अभाव में अटकी हुई हैं। ऐसे मामलों में शीघ्र समाधान के लिए समिति ने आवश्यक दस्तावेजों के संकलन और त्वरित विधिक सहायता उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
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