सुपौल। त्रिवेणीगंज प्रखंड के परसागढ़ी दक्षिण पंचायत के हरिनाहा वार्ड संख्या 9 में निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवन को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। शनिवार की संध्या को इस मुद्दे पर आदिवासी समाज और प्रशासन के बीच करीब दो घंटे तक दो पक्षीय वार्ता हुई, लेकिन यह बातचीत किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। नतीजतन, आदिवासी समाज के लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए विरोध को और तेज करने की चेतावनी दी है।
आदिवासी समाज का आरोप है कि जिस भूमि पर पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया जा रहा है, वह वर्षों पहले आदिवासी आवासीय हाई स्कूल के लिए आवंटित की गई थी। समाज के लोगों का कहना है कि विभागीय लापरवाही के कारण बीते 41 वर्षों में वहां विद्यालय भवन नहीं बन पाया, जबकि जमीन पर अब भी विद्यालय की पुरानी नींव मौजूद है। उन्होंने प्रशासन पर आदिवासी समुदाय की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
शनिवार को अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के युवा प्रकोष्ठ के कटिहार जिलाध्यक्ष सिणोद उरांव के नेतृत्व में चंद्रशेखर उरांव, रंजन उरांव, राजमणि देवी, प्रमिला देवी, रीना देवी, मंजुला देवी, रंजू देवी समेत दर्जनों लोगों ने अनुमंडल कार्यालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। वार्ता के दौरान आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने खाता संख्या 495, खेसरा संख्या 2341 की 5 एकड़ 14 डिसमिल जमीन को आदिवासी स्कूल के नाम पर दर्ज बताते हुए इससे जुड़े दस्तावेज और मालगुजारी रसीदें प्रशासन को सौंपीं।
बैठक के बाद बाहर निकलकर समाज के लोगों ने प्रशासन पर गहरा आक्रोश जाहिर किया। सिणोद उरांव ने आरोप लगाया कि जब पहले निर्माण कार्य को रोका गया था और वे लोग जदिया थाना में आवेदन देने पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की और यहां तक कहा कि ज्यादा बोलोगे तो जेल में डाल देंगे।
हालांकि इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए जदिया थानाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि आदिवासी समाज द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे लोग आवेदन लेकर आए थे, हमने सिर्फ इतना कहा कि आपलोग संबंधित विभाग के वरीय अधिकारी को आवेदन दें। इस मुद्दे पर बीडीओ अभिनव भारती ने कहा कि मामले को लेकर वरीय अधिकारियों से बात की जा रही है।
आदिवासी समाज की मांग है कि यह भूमि बच्चों के भविष्य के लिए सुरक्षित है और इस पर किसी भी हाल में पंचायत सरकार भवन का निर्माण नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि पंचायत भवन के लिए वैकल्पिक भूमि की पहचान की जाए।
फिलहाल, इस मुद्दे को लेकर क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन समाधान की कोशिश में जुटा है, जबकि आदिवासी समाज अपने रुख पर अडिग है। अब देखना यह है कि यह विवाद किस मोड़ पर पहुंचता है।
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