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छातापुर : गिरधरपट्टी स्कूल की रसोईया की मौत के बाद शिक्षकों में दहशत, विद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद


सुपौल। छातापुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत उच्च माध्यमिक विद्यालय गिरधरपट्टी में कार्यरत रसोईया की मौत के बाद उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति से शिक्षक भयभीत हैं। मंगलवार को प्रभारी प्रधानाध्यापक ओमप्रकाश कुमार के नेतृत्व में सभी शिक्षक बीआरसी कार्यालय पहुंचे और बीईओ को लिखित आवेदन सौंपते हुए विद्यालय को अनिश्चितकालीन रूप से बंद रखने की जानकारी दी।

शिक्षकों ने प्रशासन और शिक्षा विभाग से विद्यालय में समुचित सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराए जाने तक बीआरसी में ही योगदान लेने की अनुमति मांगी है। बीईओ को सौंपे गए आवेदन में एचएम सहित कुल 24 शिक्षकों के हस्ताक्षर हैं, जिसकी प्रतिलिपि बीडीओ, डीपीओ एमडीएम एवं डीईओ को भी भेजी गई है।

गौरतलब है कि 5 अप्रैल को एमडीएम बनाते समय रसोईया अमला देवी (पति धर्मदेव उरांव) आग से झुलस गई थीं। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सुपौल सदर अस्पताल और फिर मधेपुरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान 13 अप्रैल की सुबह उनकी मृत्यु हो गई।

मृतका का शव गिरधरपट्टी लाए जाने के बाद कुछ असामाजिक तत्वों ने परिजनों को भड़काकर विद्यालय गेट के सामने शव रखकर सड़क जाम कर दी। दो दिनों तक चले प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों को गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी दी गई। साथ ही SC/ST एक्ट जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की चेतावनी भी दी गई। शिक्षकों का आरोप है कि कुछ हथियारबंद लोग अब भी विद्यालय परिसर के आसपास घात लगाकर बैठे हैं, जिससे स्थिति और भयावह हो गई है।

प्रभारी बीईओ नागेंद्र चौधरी ने बताया कि बीआरसी में शिक्षकों का योगदान संभव नहीं है। हालांकि, हालात की गंभीरता को देखते हुए डीईओ को पत्र भेजा गया है और सीओ तथा डीपीओ एमडीएम से भी चर्चा हुई है। सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने को लेकर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों से भी अपील की गई है कि वे स्थिति सामान्य बनाने में प्रशासन का सहयोग करें, ताकि विद्यालय में पठन-पाठन पुनः प्रारंभ हो सके।

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