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मृत्युभोज का हिन्दू धर्म ग्रंथ में उल्लेख नहीं- डॉ. अमन



  • लक्ष्मीनियां में मृत्युभोज पर लगा विराम 
  • सर्वसम्मति से मृत्युभोज का किया बहिष्कार-

सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत हरदी पूरब पंचायत के लक्ष्मीनियाँ ग्राम में रामविलास भगत के मृत्यु तत्पश्चात शनिवार को सामाजिक बैठक आयोजित की गई। जिसमें सर्वसम्मति से मृत्युभोज छोड़ो अभियान का पूर्ण समर्थन करते हुए मृत्युभोज बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया। 

मौके पर अपना विचार व्यक्त करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है। आज समाज में बड़े बदलाव की जरूरत है। इस बदलाव के लिए गरीब में हिम्मत नहीं है, मध्यम परिवार में फुर्सत का घोर अभाव है और अमीर को इसकी जरूरत नही है। जिसके कारण सामाजिक कुरीति, धार्मिक कुरीति और अनावश्यक रीति-रिवाज व कुव्यवस्था पर विराम नही लग पा रहा है। अपने परिवार को खोने का दुःख और ऊपर से भारी-भरकम खर्च का कोई औचित्य नही है। इसका हिंदू धर्म ग्रंथ में कहीं भी उल्लेख नही है।

 डॉ. कुमार ने कहा कि अपने को अमीर, प्रतिष्ठित साबित करने के साथ-साथ झूठी प्रशंसा सुनने के लिए साधारण व्यक्ति भी कर्ज लेकर किसी भी अवसर पर क्षमता से अधिक खर्च करता है। फिजूल खर्ची द्वारा धनी बनने का ढ़ोंग कहीं से भी उचित नहीं है। मृत्युभोज और फिजूल खर्ची पर विराम लगना चाहिए। मृत्युभोज से सभी को परहेज करना चाहिए। मृत्युभोज समाज के चंद चालाक लोगों के दिमाग की उपज है। भगवान श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरूषोत्तम राम, श्री श्री आनन्द मुर्ति, डाॅ. राम मनोहर लोहिया, स्वामी विवेकानन्द, महर्षि दयानन्द सरस्वती, पंडित श्री राम शर्मा, जननायक कर्पूरी ठाकुर आदि भी मृत्युभोज के खिलाफ थे।

 भाई बोधराम ने कहा कि जानवर भी अपने साथी के बिछड़ जाने पर उस दिन चारा नहीं खाता है। लेकिन क्षेष्ठ मानव अपने साथी, सगे-संबधि के मृत्यु पर विभिन्न प्रकार के पकवान व व्यंजन खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है। इससे शर्मनाक बात क्या हो सकती है? कोशी जोन के भुक्ति प्रधान आचार्य मुक्तिश्वरानन्द ने कहा कि मृत्युभोज के बदले परिजन अपने बाल-बच्चें को पठन-पाठन कराने का कार्य करें। शिक्षा इंसान का सबसे प्रिय मित्र है। जिसके बल पर परिवार और समाज के सुख-समृद्धि की गाथा लिखी जा सकती है। 

सामाजिक बैठक व श्रद्धांजलि सभा में नितिन मुकेश, यतिन कुमार, शिवनन्दन भगत, कैलाश भगत, रामपुकार भगत, लक्ष्मी भगत, पप्पू भगत, सुरेश भगत, मदन मेहता, कार्तिक मेहता, भाई बोधराम, लक्ष्मण मेहता, राजो भगत, शम्भू यादव, धर्मपाल मेहता, सरयुग मेहता, प्रह्लाद कुमार, हरी यादव, पिंटू यादव, अरविंद भगत, राधा देवी, मकसूदन पासवान, रामपुकार जी आदि उपस्थित थे। 



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