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लोहिया नगर चौक पर अधूरा आरओबी निर्माण बना शहरवासियों के लिए नासूर, डीएम ने कंपनी का टेंडर रद्द करने का लिया निर्णय

  • डीएम ने लिया सख्त फैसला, कंपनी का टेंडर होगा रद्द
  • 2020 में हुआ था शिलान्यास, 2022 तक पूरा होना था काम

सुपौल। शहर के लोहिया नगर चौक पर पिछले छह महीने से ठप पड़ा आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) निर्माण अब शहर के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है। रेलवे फाटक पर दिनभर बार-बार ढाले गिरने और ट्रेनों की बढ़ती आवाजाही के कारण इस क्षेत्र में रोजाना भीषण जाम की स्थिति बनती जा रही है। हालात यह हैं कि प्रतिदिन 15 से 20 बार फाटक बंद होने से घंटों लंबा ट्रैफिक जाम लगता है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

फिलहाल सुपौल-सरायगढ़ रेलखंड पर ट्रेनें चल रही हैं, और अब सुपौल-पिपरा रेलखंड भी तैयार हो चुका है। जल्द ही इस रूट पर भी ट्रेन परिचालन शुरू होगा, जिससे जाम की समस्या और विकराल हो सकती है।

लोहिया नगर चौक पर आरओबी निर्माण की शुरुआत 2020 में हुई थी और इसे 2022 तक पूरा किया जाना था। लेकिन कार्य में लगातार हो रही देरी ने पूरे शहर को परेशान कर दिया है। नोएडा की निर्माण कंपनी बृजेश कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले चार वर्षों में इस परियोजना को अधूरा छोड़ दिया, जिससे समाहरणालय रोड समेत आस-पास की मुख्य सड़कों पर यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।

जिलाधिकारी कौशल कुमार ने बताया कि कई बार चेतावनी देने के बावजूद कंपनी ने अपनी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं किया। उन्होंने कहा कि 27 मार्च को कंपनी को नोटिस भेजा गया था, जिसमें 7 अप्रैल तक का समय दिया गया। यह अवधि भी अब समाप्त होने वाली है। ऐसे में प्रशासन ने निर्णय लिया है कि शेष बचे कार्य के लिए नया टेंडर निकाला जाएगा, ताकि कोई नई कंपनी आकर इसे शीघ्र पूरा कर सके।

डीएम ने यह भी बताया कि बृजेश कंस्ट्रक्शन बिहार में अन्य 4 स्थानों पर भी काम कर रही है, और सभी जगह स्थिति एक जैसी है। पूर्णिया में भी कंपनी को नोटिस दिया गया है।

यह आरओबी लोहिया नगर चौक और उसके आस-पास के क्षेत्रों के लिए ट्रैफिक जाम से स्थायी मुक्ति दिलाने वाली परियोजना थी। सुपौल, किशनपुर और पिपरा जैसे इलाकों से आने-जाने वाले अधिकांश वाहन इसी रास्ते से गुजरते हैं। इस पुल के पूरा होने से यातायात सुगम हो सकता है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की गति बढ़ेगी और लोगों को घंटों बर्बाद होने वाले समय से राहत मिलेगी।

आरओबी परियोजना का कुल बजट 44 करोड़ 88 लाख रुपये है। इसमें 919 मीटर लंबा ब्रिज और 662 मीटर एप्रोच रोड के साथ दो सर्विस रोड भी शामिल हैं। लेकिन निर्माण कंपनी की निष्क्रियता ने इस महत्वपूर्ण योजना को अधर में लटका दिया है।

जिला प्रशासन अब इस बात की कोशिश में है कि बारिश से पहले किसी तरह आरओबी निर्माण पूरा कर शहरवासियों को इस जाम से मुक्ति दिलाई जा सके।

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