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सुपौल जिला विधिज्ञ संघ की निष्क्रियता पर अधिवक्ता रूद्र प्रताप लाल ने उठाई आवाज, बिहार स्टेट बार काउंसिल ने दो माह के भीतर चुनाव कराने का दिया निर्देश

Adv Rudra Pratap Lal

सुपौल, 27 अप्रैल 2025 । बिहार स्टेट बार काउंसिल ने प्रदेश भर के सभी बार एसोसिएशनों में चुनाव प्रक्रिया को समय पर संपन्न कराने की दिशा में सख्त कदम उठाया है। काउंसिल ने 13 अप्रैल 2025 को पारित अपने संकल्प संख्या 77/2025 के माध्यम से यह निर्देश जारी किया है कि बिहार के सभी बार एसोसिएशन आगामी दो माह के भीतर चुनाव संपन्न करें। यह निर्णय राज्य के कई बार संघों में चुनाव में हो रही अनियमितताओं और देरी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

इस निर्णय की जानकारी सुपौल जिला विधिज्ञ संघ के सदस्य अधिवक्ता रुद्र प्रताप लाल ने दी। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई उनकी ओर से दायर सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के आलोक में की गई है। अधिवक्ता श्री लाल ने 19 मार्च 2025 को बिहार स्टेट बार काउंसिल, पटना को आरटीआई के तहत एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने सुपौल जिला विधिज्ञ संघ में चुनाव प्रक्रिया में देरी और तदर्थ समिति के गठन के लगातार चलन को लेकर जवाब मांगा था।

सुपौल में बार-बार बन रही तदर्थ समिति
श्री लाल ने बताया कि सुपौल जिला विधिज्ञ संघ में पिछले कई कार्यकालों से समय पर चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। प्रत्येक बार कार्यकाल समाप्त होने के बाद चुनाव टाल दिए जाते हैं और एक तदर्थ समिति गठित कर दी जाती है। इस बार भी संघ का पिछला चुनाव अगस्त 2022 में हुआ था, और अगला चुनाव अगस्त 2024 तक संपन्न हो जाना चाहिए था, लेकिन अप्रैल 2025 तक भी कोई ठोस प्रक्रिया शुरू नहीं हुई थी।
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए बिहार स्टेट बार काउंसिल ने 13 अप्रैल को आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया कि जहां-जहां चुनाव लंबित हैं, वहां दो माह के भीतर चुनाव कराए जाएं। यह निर्देश उन बार एसोसिएशनों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने समय पर चुनाव करा लिए हैं। 
 
  

चुनाव न कराने पर एड-हॉक कमेटी बदलेगी
आरटीआई के जवाब में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन संघों में तदर्थ समिति कार्यरत है और अभी तक चुनाव नहीं कराए गए हैं, वहां निर्धारित समयसीमा के भीतर चुनाव नहीं होने की स्थिति में मौजूदा एड-हॉक समिति को हटाकर नई समिति गठित की जाएगी। वहीं जिन स्थानों पर चुनाव नहीं हुए हैं, वहां भी बार काउंसिल को मजबूरन हस्तक्षेप करते हुए एड-हॉक कमेटी नियुक्त करनी पड़ेगी।

मॉडल रूल्स के तहत सभी संघों को करना होगा पालन
अधिवक्ता रुद्र प्रताप लाल ने बताया कि बिहार स्टेट बार काउंसिल ने 17 दिसंबर 2018 से बिहार स्टेट बार काउंसिल मॉडल रूल्सलागू किया है, जो राज्य के सभी मान्यता प्राप्त विधिज्ञ संघों पर लागू होता है। इन नियमों के अनुसार, किसी भी विधिज्ञ संघ का कार्यकाल दो वर्ष का होता है और चुनाव परिणाम की घोषणा की तारीख से दो वर्ष पूरे होने से पूर्व अगला चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए। इस नियम के तहत सुपौल संघ को अगस्त 2024 तक चुनाव करा लेना चाहिए था, लेकिन अब तक कोई प्रयास नहीं हुआ।

अधिवक्ताओं की उपेक्षा, आम सभा नहीं बुलाई गई
श्री लाल ने यह भी आरोप लगाया कि संघ में अधिवक्ताओं के अधिकारों और सुविधाओं की लगातार उपेक्षा हो रही है। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार हर तीन माह में आम सभा बुलाई जानी चाहिए, लेकिन वर्ष 2022 के चुनाव के बाद अब तक कोई आम सभा नहीं बुलाई गई है।

55 लाख का आयकर नोटिस और पारदर्शिता पर सवाल
सबसे गंभीर आरोप श्री लाल ने वित्तीय पारदर्शिता को लेकर लगाया। उन्होंने बताया कि संघ को आयकर विभाग से 55 लाख रुपये का नोटिस मिला है। ट्रिब्यूनल में अपील दायर करते समय 11 लाख रुपया जमा करना होगा। जिसके लिए 11 लाख रुपए आवंटित किये गए। इतनी बड़ी राशि बिना आम सभा की स्वीकृति के जमा करना नियमों के विरुद्ध होगा। उन्होंने कहा कि बिना अधिवक्ताओं की सहमति के इतना बड़ा आर्थिक निर्णय लेना सरासर अनुचित है।

श्री लाल ने आरोप लगाया कि सदस्यों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं, लेकिन जुर्माने और आर्थिक दंडों का बोझ संघ पर डाला जा रहा है। उन्होंने बार काउंसिल से मांग की कि संघ की गतिविधियों में पारदर्शिता लाई जाए और अधिवक्ताओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए। बिहार स्टेट बार काउंसिल का यह कदम राज्य के विधिज्ञ संघों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।



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