सुपौल। होली पर्व के दौरान विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा त्रिवेणीगंज में 17 स्थानों पर 17 दंडाधिकारियों की तैनाती की गई थी, लेकिन अधिकतर पदाधिकारी ड्यूटी से नदारद मिले। जिला दंडाधिकारी कौशल कुमार एवं पुलिस अधीक्षक शैशव यादव द्वारा जारी संयुक्त आदेश के बावजूद प्रशासनिक लापरवाही सामने आई।
संयुक्त आदेश में साफ निर्देश था कि होली के दौरान संभावित विवादों और विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकारी सतर्क रहें और किसी भी समस्या की सूचना तत्काल नियंत्रण कक्ष या वरीय पदाधिकारी को दें। लेकिन जब शुक्रवार को खट्टर चौक के पास एक भीषण सड़क दुर्घटना घटी, तब इस लापरवाही की पोल खुल गई।
दुर्घटना के बाद जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाने और यातायात बहाल करने में स्थानीय पत्रकारों और पुलिसकर्मियों ने अहम भूमिका निभाई। इसी का नतीजा रहा कि हादसे में दो लोगों की मौत के बावजूद तीन घायलों की जान बचाई जा सकी।
ड्यूटी से गायब रहने वाले पदाधिकारियों में अंचलाधिकारी प्रियंका सिंह, मनरेगा पीओ विजय कुमार नीलमअ, नुमंडल कल्याण पदाधिकारी मनोहर कुमार शामिल थे।
जब इनसे मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो मनरेगा पीओ और अंचलाधिकारी प्रियंका सिंह ने कॉल रिसीव नहीं किया। अनुमंडल कल्याण पदाधिकारी मनोहर कुमार ने टाल-मटोल करते हुए कहा कि वे ड्यूटी पर थे। कुछ अन्य अधिकारी यह कहकर बचते रहे कि वे दोपहर बाद से ड्यूटी पर थे, जबकि कई के मोबाइल भी बंद मिले।
प्रतिनियुक्त दंडाधिकारियों की इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत ने उनके कर्तव्यों की पोल खोल कर रख दी है। जिला प्रशासन की यह लापरवाही गंभीर सवाल खड़े करती है कि अगर कोई बड़ा उपद्रव होता, तो प्रशासन की निष्क्रियता से स्थिति कितनी भयावह हो सकती थी।
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