सुपौल। जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर पूरब स्थित चौघारा गांव में रविवार को ऋण माफी को लेकर जनता की अदालत, संकल्प सभा और संकल्प यात्रा आयोजित की गई। कार्यक्रम में लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि यह अदालत उन लोगों के लिए आयोजित की गई है, जो अपने लोन का भुगतान करने में असमर्थ हैं और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
डॉ. अमन कुमार ने कहा कि ऋणी परिवारों की पीड़ा को सरकार तक पहुंचाने के लिए यह आंदोलन जरूरी है। उन्होंने बताया कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के ग्रुप लोन गरीबों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। आर्थिक तंगी और मानसिक प्रताड़ना के कारण लोग घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं, यहां तक कि आत्महत्या जैसे कदम भी उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऋण वसूली एजेंटों द्वारा गरीबों की संपत्ति, घर, कपड़े-बर्तन तक बेचकर वसूली की जा रही है, जो अमानवीय है।
डॉ. कुमार ने सरकार से अपील की कि गरीब, किसान, बेरोजगार छात्र, युवा और महिलाओं के 10 हजार से 5 लाख रुपये तक के लोन माफ किए जाएं। इससे आर्थिक स्थिरता, सामाजिक सुरक्षा और गरीबों के जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जाति, धर्म और पार्टी से ऊपर उठकर केवल ऋण पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए किया जा रहा है।
कई ऋण पीड़ितों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियां गरीबों की मेहनत की कमाई लूट रही हैं और 12 से 42 प्रतिशत तक का भारी ब्याज वसूल रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऋण वसूली एजेंट रात 12 बजे तक महिलाओं को फोन कर धमकाते और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं।
इस कार्यक्रम में सुधीर यादव, कृष्ण कुमार, नरेश राम, शशि मंडल, शंभू यादव, फुलेंद्र यादव, दिनेश मेहता, प्रदीप शर्मा, मुकेश यादव, ललित यादव, मो. साबिर, प्रो. अरुण कुमार, सुरेंद्र कुमार श्यामल, रणधीर यादव, मनखुश कुमार, सपना देवी, शांति देवी, प्रियंका विश्वकर्मा, सोनी देवी और रूपम सहित बड़ी संख्या में ऋण पीड़ित और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
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