सुपौल। पूरे देश में रमजान का चांद नजर आ गया है, जिससे इस्लाम धर्म के सबसे पाक और मुकद्दस महीने की शुरुआत हो गई है। चांद के दीदार के बाद मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई और देशभर में रमजान की मुबारकबाद का सिलसिला शुरू हो गया। आज रात से मस्जिदों में तरावीह की नमाज अदा की जाएगी, जबकि कल यानी रविवार से पहला रोजा रखा जाएगा।
रमजान इस्लाम धर्म में सबसे अहम महीना माना जाता है, जिसमें रोजेदार सुबह सहरी से लेकर शाम इफ्तार तक रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत में मशगूल रहते हैं। यह महीना संयम, इबादत, सद्भावना और नेकी का पैगाम देता है। इस दौरान मुसलमान न सिर्फ खुदा की इबादत करते हैं, बल्कि गरीबों, जरूरतमंदों और बेसहारा लोगों की मदद भी करते हैं।
रमजान के चांद के दीदार के बाद देशभर की मस्जिदों में इबादत का माहौल और ज्यादा बढ़ गया है। मस्जिदों को सजाया गया है और तरावीह की नमाज की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। धार्मिक गुरुओं ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा इबादत करने और नेक कामों में हिस्सा लेने की अपील की है।
चांद नजर आते ही देशभर में खुशी और रौनक का माहौल बन गया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर रमजान की मुबारकबाद दी। सोशल मीडिया पर भी रमजान की बधाइयों का दौर शुरू हो गया है। कई शहरों में मस्जिदों से ऐलान किया गया कि रमजान का चांद नजर आ गया है और अब रोजे शुरू हो रहे हैं।
लोगों ने अपने घरों और मोहल्लों में रमजान की तैयारियां पूरी कर ली हैं। बाजारों में रौनक बढ़ गई है, खासकर खजूर, सेवईं, फल और अन्य खाद्य पदार्थों की खरीदारी जोरों पर है।
रोजेदारों के लिए जरूरी हिदायतें
धार्मिक विद्वानों ने रमजान की अहमियत बताते हुए कुछ जरूरी हिदायतें भी दी हैं—
1. रोजे के दौरान झूठ, गुस्सा, बदगुमानी और बुरे कामों से बचना चाहिए।
2. ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत और कुरआन की तिलावत में गुजारें।
3. सहरी और इफ्तार में सेहतमंद और हल्की चीजों का इस्तेमाल करें।
4. गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें, क्योंकि यह नेकी और सवाब का महीना है।
रमजान को लेकर कई राज्यों में प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। मस्जिदों और प्रमुख बाजारों में सफाई, सुरक्षा और ट्रैफिक कंट्रोल के लिए खास प्रबंध किए गए हैं। कई धार्मिक संगठनों ने रोजेदारों के लिए इफ्तार और सहरी के इंतजाम किए हैं, ताकि जरूरतमंद लोगों को भी इस पवित्र महीने का लाभ मिल सके।
रमजान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि यह आत्मसंयम, इबादत और अल्लाह से तौबा करने का वक्त होता है। इस महीने में हर छोटी-छोटी नेकी का कई गुना ज्यादा सवाब मिलता है। इसलिए रोजेदार न सिर्फ खुदा की इबादत करते हैं, बल्कि दूसरों की मदद और भलाई के कामों में भी हिस्सा लेते हैं। इस मौके पर हम सबको चाहिए कि हम ज्यादा से ज्यादा इबादत करें, अच्छे काम करें और अपने समाज में भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम फैलाएं। अल्लाह इस मुकद्दस महीने की बरकतें सब पर नाजिल करे।
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