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त्रिवेणीगंज : जब अहंकार बढ़ता है तो व्यक्ति में असुरी प्रवृत्तियां लेने लगती है जन्म

  • दो दिवसीय संतमत सतसंग समारोह का हुआ समापन


सुपौल। त्रिवेणीगंज प्रखंड के जदिया थाना क्षेत्र अंतर्गत बघेली पंचायत में आयोजित दो दिवसीय संतमत सतसंग समारोह का गुरुवार को विधिवत समापन हो गया। इस समापन समारोह में हरिद्वार स्थित महर्षि मेंही ब्रह्म विद्यापीठ से पधारे पूज्यपाद स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि ईश्वर ने मानव शरीर एक अनमोल उपहार के रूप में दिया है, जो पूर्व जन्मों की कठिन तपस्या का परिणाम होता है। इसलिए इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे अपने दैनिक कार्यों में लीन रहते हुए कुछ समय सत्यसंग और भजन-कीर्तन के लिए भी निकालें, जिससे मन को शांति और आत्मीय सुख की अनुभूति हो सके।

उन्होंने कहा कि संतों के बताए मार्ग पर चलकर मनुष्य ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। सत्यसंग में शामिल होने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं का समाधान भी संभव हो पाता है। उन्होंने श्रीमद्भागवत का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल्यकाल की लीलाओं से हमें कई महत्वपूर्ण जीवन संदेश प्राप्त होते हैं, जिन्हें आत्मसात करना ही मानव जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।

स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य को पैसे की शक्ति का अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि जब यह अहंकार बढ़ता है तो व्यक्ति में असुरी प्रवृत्तियां जन्म लेने लगती हैं, जिससे उसके रिश्ते-नाते प्रभावित होते हैं। ऐसे व्यक्ति अंततः कष्टदायक जीवन जीने को विवश होते हैं। उन्होंने पंच पापों से दूर रहने, ध्यान साधना करने तथा गुरु के प्रति समर्पण का भाव रखने पर जोर दिया। साथ ही, मांस, मदिरा जैसी अनुचित चीजों से दूर रहने की सलाह दी। समारोह में हजारों की संख्या में सत्यसंग प्रेमी उपस्थित रहे और उन्होंने आध्यात्मिक प्रवचनों का लाभ उठाया।

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