सुपौल। जिले में नीलकंठ किस्म के आलू की खेती को लेकर जिलाधिकारी कौशल कुमार के कार्यालय कक्ष में बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिला उद्यान पदाधिकारी अमृता कुमारी ने इस विशेष किस्म की विस्तृत जानकारी साझा की। बैठक में आलू उत्पादक किसान राजेंद्र कुमार यादव और विशेष कार्य पदाधिकारी विकास कुमार कर्ण भी उपस्थित थे।
जिला उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि त्रिवेणीगंज प्रखंड में बड़े पैमाने पर आलू की खेती की जाती है। नगर परिषद त्रिवेणीगंज में 150 हेक्टेयर और कुशहा, गोनहा, पिलवाहा, गुड़िया समेत अन्य पंचायतों में 500 हेक्टेयर में आलू की खेती की जा रही है।
राजेंद्र कुमार यादव ने 35 एकड़ में आलू की खेती की है, जिसमें से 10 एकड़ में नीलकंठ किस्म उगाई गई है। किसान राजेंद्र कुमार यादव ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय आलू अनुसंधान, पटना से "कुपड़ी नीलकंठ" बीज प्राप्त कर इसकी खेती शुरू की। पहले 1-2 एकड़ में परीक्षण के तौर पर इसकी खेती की गई, लेकिन जिला उद्यान कार्यालय के मार्गदर्शन में इसका रकबा बढ़ाया गया।
नीलकंठ आलू अन्य किस्मों से अलग है। क्योंकि इसका रंग बैंगनी होता है। यह स्वाद में उत्तम और पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक और एंथोसायनिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने में सहायक है।
राजेंद्र कुमार यादव ने बताया कि इस किस्म की उपज अपेक्षा से अधिक हुई, जिससे यह किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है। जिला प्रशासन भी इस विशेष किस्म की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक कर रहा है।
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