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मानसिक शांति और मनोवैज्ञानिक कल्याण की दिशा में सहायक होगा राष्ट्रीय शिक्षा 2020 : मुख्य अतिथि प्रो इंतेखाबुर रहमान


  • शिक्षा का रोजगार उन्मुखी, नवोन्मेषी तथा अपने जड़ों से जुड़ा होना जरूरी, बोली विभागाध्यक्ष डॉ. सुल्तानिया
  • ''राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका'' विषय पर विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग में एकदिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग में "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका" विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन विभागाध्यक्षा प्रो मनसा कुमारी सुल्तानिया की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। 

बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. इन्तेखाबुर रहमान ने विभाग के छात्र छात्राओं और शोधार्थियों के साथ आपने विचार साझा किया। प्रो. रहमान ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में मनोविज्ञान की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि आये दिन देखा जाता है कि बढ़ती बेरोजगारी से छात्र-छात्राओं में पढ़ाई को लेकर काफी दवाब बढ़ रहा है, जिससे वो मनोविकार से ग्रसित हो जाते हैं और जिसका परिणाम हो रहा है कि युवा उम्र में नशा और आत्महत्या का ग्राफ बढ़ रहा है। 

इसीलिए नई शिक्षा नीति को इस प्रकार विकसित किया गया है कि इसके लिए उनके मानसिक शांति या उनके मनोवैज्ञानिक कल्याण की स्थिति को बेहतर से बेहतर बनाया जा सके। इसीलिए इस दिशा में मनोविज्ञान की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के जीवन और क्रियाकलापों में रचनात्मकता, नवीनता और उद्यमशीलता लाना है जिसमें नई शिक्षा नीति काफी सहायक होगी। उन्होंने शिक्षा में स्थानीयता, प्राचीन भारतीय परंपराओं और महिला शिक्षा की महत्ता पर भी जोर दिया। 

अपने अध्यक्षीय संबोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. सुल्तानिया ने बताया कि शिक्षा का रोजगार उन्मुखी, नवोन्मेषी तथा अपने जड़ों से जुड़ा होना जरूरी हो। इसमें मनोविज्ञान और मनोवैज्ञानिक को अपनी भूमिका तेजी बदलाव लाना होगा। 

 इस अवसर पर हाल में प्रकाशित यू.जी.सी नेट परीक्षा में उत्तीर्ण विभाग की छात्रा अफशां परवीन को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन विभाग के सहायक प्राध्यापक अमृत कुमार झा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अनीश अहमद ने किया। कार्यक्रम में सफल आयोजन में सहायक रोहित कुमार सिंह, प्रेमचंद प्रसाद, राजेश सहनी, अभिषेक कुमार झा, अमन कुमार, संजीव कुमार की भुमिका महत्वपूर्ण रही। कार्यक्रम में दर्जनों शोधार्थी व बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थिति थी।

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