धरना में शामिल पीड़ितों ने कहा कि बचाव, राहत और क्षतिपूर्ति के मामले में प्रशासन पूरी तरह विफल रहा। बाढ़ के दौरान लोग भूखे-प्यासे तड़पते रहे, लेकिन प्रशासनिक मदद नहीं पहुंची। पीड़ितों ने बताया कि नावें नहीं आईं, लोग छतों और छप्परों पर कई दिनों तक फंसे रहे। चापाकल डूब गए, पीने का साफ पानी नहीं मिला और विषैले सांप व अन्य खतरनाक जीवों ने हालात और भयावह बना दिए।
बाढ़ के बाद जब पानी कम हुआ तो घर कीचड़ से भर गए, जिसकी सफाई करना बहुत मुश्किल था। जिनके घर कट गए, उन्हें आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला। पुनर्वास के लिए सरकार के पास खाली जमीनें मौजूद हैं, लेकिन पीड़ितों को वहां बसाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
धरना में कोशी नव निर्माण मंच ने प्रशासन को 11 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। जिला पदाधिकारी की अनुपस्थिति में इसे अनुमंडल पदाधिकारी को दिया गया। मंच ने चेतावनी दी कि अगर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
धरना की प्रमुख मांगें:
- कोशी कटाव पीड़ितों को गृह क्षति का भुगतान जल्द किया जाए और पुनर्वास की जमीनों में बसाया जाए।
- सुपौल अंचल के खखई स्पर के कटाव पीड़ितों की जमीन को मनरेगा के तहत भरवाया जाए और वहां आने-जाने का रास्ता बनाया जाए।
- तटबंध के भीतर रह रहे सभी लोगों का सर्वे कराकर पुनर्वास कराया जाए।
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कोशी तटबंध के भीतर के सभी परिवारों को लाभ दिया जाए।
- बाढ़ राहत व क्षतिपूर्ति का पूरा भुगतान जल्द किया जाए और शिविरों के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं।
- बाढ़ बचाव कार्यों की विफलता पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे।
- तटबंध के भीतर उप स्वास्थ्य केंद्रों और टीकाकरण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।
- शिक्षा से वंचित बसाहटों में विद्यालयों की स्थापना कराई जाए।
- कोशी पूर्वी तटबंध के सुरक्षा स्पर जल्द बनाए जाएं और कटाव प्रभावित क्षेत्रों में पाइलिंग कराई जाए।
- कोशी पीड़ित विकास प्राधिकरण को सक्रिय किया जाए।
- कोशी समस्या का समाधान वैज्ञानिक और स्थानीय ज्ञान के समन्वय से किया जाए।
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