सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत चौघारा वार्ड नंबर 08 में पंकज यादव की मृत्यु के बाद आयोजित सामाजिक बैठक में सर्वसम्मति से मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय ने समाज में व्याप्त मृत्युभोज जैसी कुरीति के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है।
बैठक में लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि समाज को मृत्युभोज जैसी प्रथा से पूर्ण आजादी चाहिए। उन्होंने मृत्युभोज को आर्थिक, सामाजिक और नैतिक रूप से नुकसानदायक बताते हुए कहा कि पढ़े-लिखे लोग भी यदि ऐसी प्रथा का हिस्सा बनते हैं, तो यह उनकी शिक्षा पर प्रश्नचिन्ह है।
डॉ. कुमार ने इस कुरीति के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मृत्युभोज के कारण कई परिवार कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं। यह न केवल विनाशकारी है, बल्कि समाज में असमानता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि शान-शौकत और वाहवाही के लिए मृत्युभोज का आयोजन छोड़कर मृतक परिवार को धैर्य, साहस और सहयोग प्रदान करें। बताया कि चौघारा में लिए गए इस निर्णय ने समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाई है। यह पहल समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ एक मिसाल बन सकती है और अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी प्रथाओं को समाप्त करने का आधार बनेगी।
बैठक में उपस्थित गणमान्य लोगों ने भी इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवित अवस्था में माता-पिता और परिजनों की सेवा ही सबसे बड़ा सम्मान है। मृत्युभोज का किसी धर्म ग्रंथ में कोई उल्लेख नहीं है, इसलिए इसे जारी रखना अनुचित है। बैठक में कर्ता पुत्र प्रिंस कुमार, परमेश्वरी प्रसाद यादव, सुधीर यादव, कमलेश्वरी प्रसाद यादव, शंभू यादव, न्याय सचिव कृष्ण कुमार, वार्ड सदस्य मोहन यादव, फुलेन्द्र यादव, गणेश यादव, शिवनारायण यादव, और अन्य कई लोग उपस्थित थे।
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