सुपौल। निर्मली अनुमंडल क्षेत्र के कुनौली स्थित निरीक्षण भवन परिसर में शनिवार को भारत और नेपाल के अधिकारियों, नेताओं और जनप्रतिनिधियों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। यह बैठक नेपाल से बहने वाली खारों और जीता नदियों के कारण भारतीय प्रभाग में होने वाली बाढ़ और इसके समाधान के लिए की गई।
बैठक में नेपाल के मुख्यमंत्री सतीश सिंह, भारतीय सांसद दिलेश्वर कामत, विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव सहित दोनों देशों के कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए। स्थानीय मुखिया दिलीप रजक, प्रमुख पवन मंडल और अन्य जनप्रतिनिधियों ने फूल-माला पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया।
बैठक के दौरान भारतीय क्षेत्र कुनौली, कमलपुर, और डगमारा में खारों और जीता नदियों के बाढ़ के कारण होने वाली त्रासदी पर चर्चा की गई। जनप्रतिनिधियों ने बताया कि बाढ़ हर वर्ष इस क्षेत्र में व्यापक तबाही मचाती है, जिससे किसानों और आम जनता को भारी नुकसान होता है। समस्या के समाधान के लिए नदियों की सफाई, चैनल निर्माण और जल प्रवाह को नियंत्रित करने की आवश्यकता जताई गई।
जल संसाधन विभाग द्वारा लगभग करोड़ों की लागत से तैयार डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के तहत सुरक्षात्मक कार्य का संचालन किया जाना है। हालांकि, इसके लिए नेपाल सरकार का एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) आवश्यक है। सांसद दिलेश्वर कामत और विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव ने नेपाल के मुख्यमंत्री से एनओसी देने का आग्रह किया। नेपाल के मुख्यमंत्री सतीश सिंह ने भारत-नेपाल के "बेटी-रोटी" संबंधों का जिक्र करते हुए बाढ़ की विभीषिका को समाप्त करने के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने डीपीआर से संबंधित एनओसी प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का वादा किया।
इस बैठक के माध्यम से दोनों देशों ने क्षेत्रीय बाढ़ समस्या को हल करने के लिए आपसी सहयोग और समन्वय को मजबूत करने का संकल्प लिया। बैठक में दोनों देशों के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और पुलिसकर्मियों की उपस्थिति रही। यह बैठक भारत-नेपाल के सहयोग और क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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