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बसंतपुर : कोसी बराज मॉडल का निर्माण कार्य शुरू, बाढ़ नियंत्रण में होगा मददगार


सुपौल। कोसी बराज के जल प्रबंधन और संभावित बाढ़ नियंत्रण के लिए वीरपुर स्थित फिजिकल मॉडलिंग सेंटर में मॉडल ट्रे निर्माण कार्य जोर-शोर से शुरू हो गया है। शुक्रवार को जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और इंजीनियरों की उपस्थिति में इस परियोजना का शिलान्यास किया गया। नारियल फोड़कर शुरू की गई इस परियोजना के तहत कोसी बराज की संरचना का लघु मॉडल तैयार किया जाएगा।

करीब 11 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना को छह माह में पूरा करने का लक्ष्य है। इस मॉडल का उद्देश्य कोसी नदी के बहाव, बराज के संचालन और जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन करना है।

इस परियोजना में देशभर के इंजीनियर और विशेषज्ञ शामिल हैं। शुक्रवार को शिलान्यास के दौरान चीफ इंजीनियर वरुण कुमार, अधीक्षण अभियंता संजय कुमार, कार्यपालक अभियंता बबन पांडेय, मुख्य अभियंता परवेज अख्तर समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित थे। फिजिकल मॉडलिंग सेंटर के डायरेक्टर निखिल कुमार और रिवर्स इंजीनियर धीरज कुमार ने भी इस परियोजना को लेकर अपने विचार साझा किए।

फिजिकल मॉडलिंग सेंटर के अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना न केवल कोसी क्षेत्र बल्कि देशभर में जल संसाधन प्रबंधन के लिए एक मिसाल साबित होगी। इस मॉडल के जरिए स्थानीय प्रशासन और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ तकनीकी जानकारी साझा कर सकेंगे।

इस परियोजना के पूर्ण होने के बाद नेपाल से लेकर बिहार के सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, पूर्णिया, कटिहार और भागलपुर जिले के लोग बाढ़ से सुरक्षित रह सकेंगे। साथ ही, यह नेपाल और भारत के बीच कनेक्टिविटी और जल प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग को भी मजबूत करेगा।

नेपाल के सुपौल जिले के समीप स्थित कोसी बराज जल नियंत्रण, सिंचाई और विद्युत उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण संरचना है। इसे बिहार का शोक कहा जाता है, लेकिन इस मॉडल के माध्यम से बाढ़ प्रबंधन और विकास के नए आयाम जोड़े जा सकेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल युवा इंजीनियरों और पर्यावरणविदों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह परियोजना न केवल तकनीकी समाधान प्रदान करेगी बल्कि कोसी क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में भी मददगार साबित होगी। कोसी बराज मॉडल ट्रे के निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों और अधिकारियों में उत्साह है। यह कदम न केवल बाढ़ जैसी आपदाओं से बचाव करेगा, बल्कि कोसी क्षेत्र में विकास की नई संभावनाओं को भी जन्म देगा।

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