सुपौल। नेपाल के सीमावर्ती इलाका कुनौली, कमलपुर और डगमारा के किसानों ने खारों और जीता नदी की बाढ़ से हर वर्ष हो रही बर्बादी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। इस संदर्भ में शनिवार को कुनौली स्थित निरीक्षण भवन परिसर में हुई इंडो-नेपाल आपसी समन्वय बैठक के दौरान किसानों ने सांसद दिलेश्वर कामत को एक आवेदन सौंपा।
किसानों ने आवेदन में बताया कि नेपाल से बहकर आने वाली खारों और जीता नदी के बाढ़ का पानी हर साल कुनौली, कमलपुर और डगमारा में प्रवेश कर भारी तबाही मचाता है। इन नदियों के उफान से किसानों के खेत, घर, और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि 2017 की भीषण बाढ़ में तिलयुगा नदी तक बने सुरक्षा गाइड बांध के खंडित हो जाने के बाद इन नदियों का बहाव क्षेत्र बदल गया। अब ये नदियां कुनौली पयाकिनार स्थित शांति वन, गोरियारी, और कुनौली बाजार से होकर बहने लगी हैं, जिससे हज़ारों एकड़ भूमि बालू में बदल गई है।
नदियों के नए बहाव क्षेत्र के कारण खेत बंजर हो गए हैं, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट मंडराने लगा है। कई किसान और स्थानीय लोग रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। किसानों ने आवेदन में कहा कि यदि इन नदियों के बहाव को पुराने मार्ग पर मोड़कर, सुरक्षा गाइड बांध की मरम्मत की जाए और चैनल का निर्माण किया जाए, तो स्थिति को सुधारा जा सकता है।
किसानों ने सांसद दिलेश्वर कामत से इन नदियों की त्रासदी से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस पहल से क्षेत्रीय किसानों को राहत मिलेगी, बालूमय जमीन उपजाऊ हो सकेगी, और जनजीवन व्यवस्थित होगा। किसानों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे भूख हड़ताल पर उतरने को मजबूर होंगे।
कुनौली के मुखिया दिलीप रजक, पूर्व प्रमुख अरविंद गुप्ता, मनोज मेहता, और उपप्रमुख ने इस आवेदन की अनुशंसा करते हुए कहा कि नेपाल से बहने वाली इन नदियों की बाढ़ से भारतीय प्रभाग में रहने वाले किसानों और मजदूरों को हर वर्ष भारी नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने सांसद से इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। इस आवेदन के माध्यम से सीमा क्षेत्र के किसानों और मजदूरों ने सरकार से अपनी समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने और राहत प्रदान करने की उम्मीद जताई है।
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