सुपौल। भारतीय स्टेट बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) और जिला नियोजनालय सुपौल के संयुक्त प्रयास से 35 दिव्यांगजनों के लिए 6 दिवसीय "दुकानदारी" प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसका उद्घाटन आरसेटी निदेशक धीरेन्द्र कुमार धीरज, जिला नियोजनालय के अमरेंद्र कुमार, रजत कुमार, प्रेम कुमार और आरसेटी के वरिष्ठ प्रशिक्षक अनिश रंजन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया।
आरसेटी निदेशक धीरेन्द्र कुमार ने दिव्यांगजनों को प्रेरित करते हुए कहा कि शारीरिक कमी को कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी अन्य क्षमताओं को पहचानकर उसे अपनी ताकत बनाएं। उन्होंने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षुओं का धन्यवाद किया और उन्हें स्वरोजगार के माध्यम से जीवन में सफलता प्राप्त करने का संदेश दिया।
जिला नियोजनालय के अधिकारी अमरेंद्र कुमार ने बताया कि पहले उनका उद्देश्य दिव्यांगजनों को नौकरी से जोड़ना था, लेकिन स्वरोजगार को अधिक लाभकारी और सशक्त विकल्प मानते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि आरसेटी के सहयोग से दिव्यांगजनों को स्वरोजगार के महत्व को समझाने के लिए यह पहल की गई है।
प्रशिक्षण संचालक अनिश रंजन ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ प्रशिक्षुओं को स्वरोजगार में सक्षम बनाना नहीं, बल्कि उनके माध्यम से औरों को भी रोजगार के अवसर प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि सुपौल मंडल कारा में भी 35 बंदियों को घरेलू अगरबत्ती निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
कार्यक्रम में आरसेटी के मुकेश कुमार मुस्कान, तिरु रूपक, चेतन कुमार सिंह, किशन कुमार, पिंटू कुमार और बम कुमार सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे। यह प्रशिक्षण दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने और समाज में उनके योगदान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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