सुपौल। एसएसबी 45वीं बटालियन मुख्यालय में बुधवार को मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस छह दिवसीय प्रशिक्षण में सीमावर्ती क्षेत्र की 32 महिलाएं और युवतियां भाग ले रही हैं। यह कार्यक्रम 15 जनवरी से 20 जनवरी तक चलेगा।
बटालियन के कमांडेंट गौरव सिंह ने बताया कि एसएसबी अपने आदर्श वाक्य "सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व" को न केवल सीमा की सुरक्षा में बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रोजगार और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में भी निभा रही है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
मिथिला पेंटिंग, जिसे मधुबनी चित्रकला भी कहा जाता है, बिहार के मिथिला क्षेत्र की एक पारंपरिक कला है, जो आज वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है। इस कला को सिखाने के लिए 32 कला प्रेमी महिलाओं और युवतियों का चयन किया गया है। प्रशिक्षण रमा फाउंडेशन मधुबनी द्वारा संचालित किया जा रहा है।
प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर रमा फाउंडेशन के निदेशकों और प्रशिक्षकों ने मिथिला पेंटिंग की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। डिप्टी कमांडेंट शैलेश कुमार सिंह ने कोर्स की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं और आशा व्यक्त की कि यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगा और मिथिला की कला और संस्कृति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस अवसर पर असिस्टेंट कमांडेंट जगतार चिब और एएसआई दीपक सोनार भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने एसएसबी के इस कदम की प्रशंसा की और इसे सराहनीय बताया। सभी ने करतल ध्वनि के साथ अपनी सहमति और आभार प्रकट किया।
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