सुपौल। सदर प्रखंड के सुखपुर माध्यमिक उच्च विद्यालय के प्रांगण में सुखपुर सोल्हनी ग्राम पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण के विरोध में एक आम सभा आयोजित की। इस सभा में सभी ग्रामीणों ने एकजुट होकर वर्तमान भूमि सर्वेक्षण के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और स्पष्ट किया कि जब तक 1955 के जमींदारी रिटर्न, 1965-66 के रिविजनल सर्वे और 1902 से 1960 तक के जमीन निबंधन से संबंधित दस्तावेजों की नकल आम रैयतों को नहीं मिलती, तब तक ग्राम पंचायत में भूमि सर्वेक्षण का कार्य नहीं होने दिया जाएगा।
बताया गया कि फरवरी महीने में भी सुखपुर सोल्हनी ग्राम पंचायतवासियों ने भूमि सर्वेक्षण के विरोध में आमसभा की थी और जिलाधिकारी से पब्लिक पिटीशन के माध्यम से समस्याओं के समाधान की मांग की थी। इसके अलावा प्रमंडलीय आयुक्त को भी ई-मेल द्वारा सूचना दी गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि बंदोबस्त कार्यालय के कर्मचारी अनुमंडलीय स्तर पर कुछ गांवों के दलालों को इस कार्य में शामिल कर रहे हैं। इसके साथ ही यह भी बताया कि सुखपुर के वेचिरागी मौजा पटकोली का सर्वेक्षण, जो महज 300 एकड़ का क्षेत्र है, डेढ़ साल पहले पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी भी वहां के 150 से अधिक केस पेंडिंग हैं।
आंदोलनकारियों ने यह स्पष्ट किया कि वे विशेष भूमि सर्वेक्षण के विरोधी नहीं हैं, बल्कि वर्तमान व्यवस्था के विरोधी हैं। उनका कहना है कि सरकार पहले भूमि दस्तावेजों की नकल उपलब्ध कराए, फिर सर्वेक्षण कार्य शुरू किया जाए। इस आम सभा की अध्यक्षता समाजसेवी ध्रुव कुमार सिंह ने की, जबकि इसका संयोजन अरुण कुमार झा मुन्ना और रविंद्र कुमार पांडे ने किया। सभा में राजकुमार झा, नवीन कुमार खां, सीताकांत झा, दयाकांत, शक्तिनाथ, विकास यादव, महेश्वर मल्लिक, मुरारी महतो, लीलांबर झा, जितेन्द्र मिश्र, रामेश्वर चंद, गंगेश्वर सिंह समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
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