सुपौल। कृषि में आयी नई क्रांति के बारे में जनसाधारण को जागरूक करने के उद्देश्य से देश की अग्रणी उर्वरक निर्माण कंपनी द्वारा बुधवार को सदर प्रखंड के चैनसिंहपट्टी में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रमुख खाद डीलरों, रिटेलरों, किसानों और ग्रामीणों को चांद छाप नैनो यूरिया के लाभों के बारे में बताया गया।
बैठक में डीलर श्री सुमन चौधरी ने उपस्थित रिटेलरों, किसानों और ग्रामीणों को जानकारी देते हुए कहा कि पारंपरिक दानेदार यूरिया के उपयोग में पौधे केवल 30 प्रतिशत ही ग्रहण कर पाते हैं, जबकि बाकी 70 प्रतिशत यूरिया नाइट्रस ऑक्साइड के रूप में वातावरण में मिल जाता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा, बचा हुआ यूरिया मिट्टी की पीएच वैल्यू को प्रभावित करता है, जो सीधे तौर पर खेतों की उपजाऊ शक्ति को कम करता है और भूमिगत जल में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ाकर उसे प्रदूषित करता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
उन्होंने बताया कि चांद छाप नैनो यूरिया का प्रयोग करने से फसलों की भरपूर उपज मिलती है, किसानों की आय में वृद्धि होती है और वातावरण की रक्षा भी होती है। इस नई तकनीक से प्रदूषण में कमी आती है और खेतों की उर्वरक क्षमता बनी रहती है। बैठक के दौरान चांद छाप नैनो यूरिया से संबंधित विज्ञापन गीत और फिल्म भी दिखाई गई, जिससे किसानों को इस उर्वरक के महत्व और लाभ के बारे में अधिक जानकारी मिली।
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