सुपौल। प्रशासन ने सिमराही बाजार में अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ा अभियान चलाया। एनएच-106 और एनएच-27 पर अतिक्रमण कर बनाए गए निर्माणों को बुलडोजर की मदद से हटाया गया। अभियान में बीडीओ ओम प्रकाश, सीओ रश्मि प्रिया, थानाध्यक्ष नवीन कुमार, एनएचएआई के अधिकारी, राघोपुर थाना और जिला पुलिस बल मौजूद रहे।
अतिक्रमण हटाने से पहले अंचलाधिकारी द्वारा लाउडस्पीकर से प्रचार कर लोगों को अपनी संपत्ति खाली करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद कुछ लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया, जिसके बाद प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी। अभियान के दौरान जेपी चौक के पास फुटकर दुकानों और गुमटियों को तोड़ दिया गया। सड़कों पर पड़े मलबे को नगर पंचायत के सफाईकर्मियों की मदद से हटाया गया।
अतिक्रमण हटाने के दौरान स्थानीय रैयतों ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि करीब 73 रैयतों का मुआवजा एनएचएआई के पास लंबित है। कई रैयतों को अब तक जमीन अधिग्रहण का एक भी पैसा नहीं मिला है, जबकि कुछ को आंशिक भुगतान ही किया गया है।
रैयतों का आरोप है कि प्रशासन बार-बार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रहा है, लेकिन मुआवजे के भुगतान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री से अपील की कि एनएचएआई और जिला प्रशासन सिमराही में शिविर लगाकर उनकी समस्याओं का समाधान करें।
रैयतों का कहना है कि सिमराही बाजार दशकों से व्यावसायिक केंद्र के रूप में स्थापित है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण उन्हें व्यावसायिक दर पर मुआवजा नहीं दिया गया। मामले को लेकर रैयतों ने न्यायालय का सहारा लिया, और फैसला उनके पक्ष में आया। इसके बावजूद प्रशासन अब तक भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने में विफल रहा है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि मुआवजे का भुगतान कर दिया जाए, तो वे स्वेच्छा से अपनी संपत्ति खाली कर देंगे। उन्होंने प्रशासन से त्वरित समाधान की मांग की ताकि भविष्य में ऐसे विवादों से बचा जा सके।
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