सुपौल। बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोपगुट) ने अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर एक विशाल प्रदर्शन रैली निकाली। रैली का नेतृत्व संघ की जिला अध्यक्षा ऊषा सिन्हा ने किया, और यह रैली सदर अस्पताल से शुरू होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई समाहरणालय पहुंची।
इस दौरान ऊषा सिन्हा ने केंद्र और राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि वे आशा कार्यकर्ताओं और आशा फेसिलिटेटरों को गुलाम और बेगार समझती हैं और बिना किसी अतिरिक्त मजदूरी के उन्हें अत्यधिक काम करवा रही हैं। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को आठवीं कक्षा के सर्टिफिकेट के आधार पर बहाल किया गया था, लेकिन अब उन्हें आयुष्मान कार्ड, आभा कार्ड और चुनाव जैसे काम बिना किसी मेहनताने के करने के लिए कहा जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना महामारी और चुनाव कार्यों के दौरान किए गए कार्यों का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। पिछले साल संघ की हड़ताल के बाद सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं को 2500 रुपये मासिक मानदेय देने का लिखित वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।
उषा सिन्हा ने यह स्पष्ट किया कि जब तक उनकी सात सूत्री मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस अवसर पर संघ की अन्य सदस्याएं जयंती कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, रीता देवी, अनीता देवी, नूतन झा, नीलम देवी, कविता देवी, चंद्रकला कुमारी, बबीता कुमारी, रेणु कुमारी, अनीता कुमारी, शमीमा खातून, मीना कुमारी आदि भी उपस्थित थीं।
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