सुपौल। विजय दिवस की 54वीं वर्षगांठ पर भारत सेवक समाज महाविद्यालय में पूर्व सैनिक सेवा परिषद जिला इकाई सुपौल के बैनर तले विजय दिवस सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जिलों से सैकड़ों पूर्व सैनिकों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल अशोक कुमार चौधरी (सेवानिवृत) ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष कर्नल एमपी सिंह, टीएनवीयू के पूर्व कुलपति एके राय, मेजर डॉ शशि भूषण प्रसाद, नगर परिषद के मुख्य पार्षद राघवेंद्र झा राघव, और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ संजीव कुमार सहित अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
लेफ्टिनेंट जनरल अशोक कुमार चौधरी ने समारोह में अपने संबोधन में कहा कि सैनिक कभी रिटायर्ड नहीं होता, वह देश के लिए आखिरी दम तक लड़ता है। 1971 की लड़ाई भारत की सैन्य वीरता का उदाहरण है, जिसमें भारतीय सेना ने महज 13 दिन में पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश का निर्माण किया। उन्होंने इस युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की वीरता को सलाम किया और कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
कर्नल एमपी सिंह ने कहा कि 1971 के युद्ध ने भारतीय सेना के साहस और दृढ़ता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। इस युद्ध में 1313 भारतीय सैनिकों को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
समारोह में कोसी प्रमंडल के सुपौल, सहरसा और मधेपुरा जिलों के शहीद परिवारों एवं 1965-1971 के युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों को सम्मानित किया गया। इसके बाद आइस फ्लेम प्रोडक्शन द्वारा भक्तिगीत "रब की परछाईं-सांई" का अनावरण भी किया गया। इस कार्यक्रम ने 1971 के युद्ध के शौर्य और बलिदान को याद करते हुए, भारतीय सेना के वीरता की अनमोल गाथाओं को नमन किया।
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