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प्रतापगंज : उर्वरक निगरानी समिति की बैठक में किसानों और विक्रेताओं की समस्याओं पर हुई चर्चा



सुपौल। प्रतापगंज प्रखंड स्थित ई-किसान भवन में शुक्रवार को प्रखंड उर्वरक निगरानी समिति की बैठक प्रखंड प्रमुख डेजी कुमारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में खाद विक्रेताओं को समय पर सरकारी मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। बैठक में रबी फसल के मौसम को देखते हुए बीएओ की अनुपस्थिति पर आपत्ति जताई गई।

भवनीपुर उत्तर पंचायत के मुखिया प्रताप विराजी ने कहा कि जब कृषि पदाधिकारी बैठक में मौजूद नहीं हैं, तो इस बैठक का क्या महत्व है। उन्होंने बैठक को रद्द कर अगले दिन फिर से आयोजित करने की बात कही, जिसका समर्थन प्रमुख डेजी कुमारी और पूर्व प्रमुख रमेश प्रसाद यादव ने किया।

अपर सीनियर डिप्टी कलेक्टर और प्रशिक्षु बीडीओ अंजू कुमारी ने कहा कि किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए आयोजित इस बैठक में कृषि पदाधिकारी का उपस्थित होना जरूरी था। उर्वरक निगरानी समिति के संयोजक अरविंद कुमार चौधरी ने विक्रेताओं से कहा कि वे रबी फसल के समय किसानों को सही मूल्य पर खाद मुहैया कराएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विक्रेता किसानों को खाद नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

मुखिया प्रताप विराजी ने बताया कि बाजार में यूरिया खुलेआम 350 रुपये में बेचा जा रहा है, जबकि सरकारी रेट 266.50 रुपये है। इसके साथ ही डीएपी का भी यही हाल है। गोविंदपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि वूलन जी ने बताया कि गेहूं की उन्नत बीज 3000 रुपये तक बिक रही है, जबकि मक्का के उन्नत बीज की कीमत 3355 रुपये तक पहुंच गई है।

बैठक में खाद विक्रेताओं ने भी अपनी समस्याएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि हॉलसेल विक्रेताओं द्वारा यूरिया 300 बोरा की दर से दिया जाता है, जबकि पक्का बिल सरकारी मूल्य के हिसाब से मिलता है। विक्रेताओं ने बताया कि उन्हें नैनो यूरिया भी मजबूरी में लेना पड़ता है और वाहन भाड़ा भी वहन करना पड़ता है, जिससे सरकारी मूल्य पर खाद बेचना मुश्किल हो जाता है।

प्रशिक्षु बीडीओ अंजू कुमारी ने विक्रेताओं के समस्याओं के समाधान के लिए हॉलसेल डीलरों की बैठक बुलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से किसानों में जागरूकता फैलाने की अपील की कि वे रासायनिक खाद की बजाय जैविक खाद का उपयोग बढ़ाएं, ताकि खेतों की उर्वरक क्षमता बनी रहे और रासायनिक खाद से खेतों की मिट्टी बंजर होने से बच सके। बैठक में उर्वरक विक्रेताओं, जनप्रतिनिधियों, किसान सलाहकारों और किसान कोऑर्डिनेटरों ने भाग लिया।

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