सुपौल। राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के गणपतगंज स्थित प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार चौधरी के आवास पर पहली बार मैथिली कवि विद्यापति की स्मृति दिवस का आयोजन धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वयं प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने की, जबकि उद्घाटन जिला पार्षद कल्पना देवी ने विद्यापति के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर मिथिला की पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र एवं पाग पहनाकर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद (साहित्य प्रकोष्ठ) के केंद्रीय महासचिव प्रोफेसर डॉ. रवीन्द्र कुमार चौधरी ने विद्यापति के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्यापति मैथिली साहित्य के महान कवि थे, जिनकी काव्य रचनाओं ने न केवल मैथिली भाषा को समृद्ध किया, बल्कि इसे भारतीय साहित्य के मानचित्र पर भी महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
प्रो. चौधरी ने मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बावजूद, उसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा न मिलने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने बिहार सरकार से अपील की कि वह मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र सरकार से अनुशंसा भेजे।
इस अवसर पर जिला पार्षद कल्पना देवी ने विद्यापति की भक्ति भावना को सराहा और कहा कि विद्यापति शिव के उपासक थे, जिन्होंने भगवान शिव की भक्ति के कारण अनेक काव्य रचनाएँ कीं। प्रतापगंज के प्रखंड प्रमुख डॉ. रमेश प्रसाद यादव ने विद्यापति के समय की चर्चा करते हुए बताया कि संस्कृत के प्रचलन के बीच विद्यापति ने मैथिली में रचनाएँ शुरू कीं, जिससे मैथिली भाषा को नया दिशा मिला।
जिला पार्षद प्रतिनिधि धीरेंद्र प्रसाद यादव ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यापति ने हमेशा आम लोगों के लिए साहित्य रचनाएँ की, जिसके कारण आज वे पूरे देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी और स्थानीय लोग उपस्थित थे।
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