सुपौल। केंद्र और राज्य सरकार की आरक्षण विरोधी नीति के खिलाफ राजद कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को सुपौल जिला मुख्यालय स्थित डिग्री कॉलेज चौक पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। धरना को संबोधित करते हुए नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार पर संविधान विरोधी मानसिकता अपनाने का आरोप लगाया। वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार आरक्षण कोटे को समाप्त करने की कोशिश कर रही है, जिससे दलित, बहुजन और अति पिछड़ा वर्ग वंचित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राजद इन वर्गों की लड़ाई जारी रखेगा और इसे अंतिम अंजाम तक ले जाएगा।
जिलाध्यक्ष संतोष सरदार ने बताया कि जब बिहार में तेजस्वी यादव की सरकार थी, तो जातिगत सर्वेक्षण के आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 65 प्रतिशत की गई थी। हालांकि, राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, जिस कारण उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी। राजद ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में पीटीशन दायर किया है।
राजद नेताओं ने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा धर्म के आधार पर वर्गीकरण करके दलित, बहुजन और आदिवासी समुदाय को समाज में निचले पायदान पर रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में आरक्षण सीमा को जल्दी लागू किया जाए और केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करे।
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