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सुपौल जिले में पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध है उर्वरक, कालाबाजारी रोकने के लिये चलाया जायेगा छापेमारी अभियान





  • उर्वरक निगरानी समिति की बैठक में उर्वरक की उपलब्धता और प्रबंधन पर हुई चर्चा


सुपौल। समाहरणालय स्थित जिला पदाधिकारी कार्यालय में शुक्रवार को डीएम कौशल कुमार की अध्यक्षता में जिला उर्वरक निगरानी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में ऊर्जा, योजना एवं विकास विभाग के मंत्री प्रतिनिधि रामचंद्र यादव, जिला कृषि पदाधिकारी पप्पू कुमार, विभिन्न उर्वरक निर्माता कंपनियों के क्षेत्रीय प्रबंधक तथा जिला के थोक उर्वरक विक्रेता उपस्थित थे।

बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सुपौल जिले में उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है, जिसमें यूरिया 14058 मीट्रिक टन, डीएपी 2837 मीट्रिक टन, एमओपी 2738 मीट्रिक टन, और एनपीके 5724 मीट्रिक टन शामिल हैं। जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि किसानों को सुगमता से उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने उर्वरक की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए उर्वरक निरीक्षकों को जिले भर में छापेमारी और निरीक्षण करने का आदेश दिया। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में उर्वरक के अवैध परिचालन की निगरानी बढ़ाने को कहा गया। यदि किसी विक्रेता द्वारा अनियमितता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

फसल अवशेष प्रबंधन पर जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सुपौल में किसान फसल अवशेषों का उपयोग पशु चारे के रूप में करते हैं, और यहां फसल अवशेष जलाए नहीं जाते हैं। इसके साथ ही, जिले में किसान कम्बाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई नहीं करते हैं। डीएम ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे फसल अवशेष प्रबंधन के विभागीय निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें। अंत में डीएम ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देशित किया कि वे किसान चौपालों में फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में किसानों को जानकारी प्रदान करें।

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