सुपौल। पिपरा बाजार स्थित विनोबा मैदान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को प्रमुख उपदेशक साध्वी अमृता भारती जी ने कहा कि "भक्ति हीन सब गुण सुख ऐसे-लवण बिना बहू व्यंजन जैसे" अर्थात भक्ति के बिना जीवन, जैसे नमक के बिना अनेकों प्रकार के व्यंजन। उन्होंने बताया कि भक्ति की शुरुआत संतों के संग से होती है और पूर्ण सतगुरु के मार्गदर्शन में शिष्य सनातन मार्ग को प्राप्त करते हैं, जैसा भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते समय बताया था।
साध्वी अमृता भारती जी ने यह भी कहा कि भगवान केवल जानने का विषय हैं, मानने का नहीं। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को केवल गीता का संदेश नहीं दिया, बल्कि अपने विराट रूप का दर्शन और ब्रह्म ज्ञान भी प्रदान किया। उन्होंने यह संदेश दिया कि भगवान की कथा केवल सुनने से कल्याण नहीं हो सकता, बल्कि उसे अनुभव करना और आत्मसात करना आवश्यक है।
स्वामी यादवेन्द्रानंद जी ने अपने भाषण में कहा कि ईश्वर दर्शन के बाद हर व्यक्ति में छिपा विवेकानंद प्रकट होता है और अधीर मन शांत होता है। उन्होंने यह भी कहा कि आजकल लोग बिना किसी सच्चे गुरु की पहचान किए, उन्हें गुरु मान लेते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्ण गुरु की पहचान ब्रह्म ज्ञान है, जो एक दिव्य दृष्टि से ईश्वर का दर्शन कराता है। कार्यक्रम के अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे।
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