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पिपरा : श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम का हुआ आयोजन, साध्वी अमृता भारती ने दिया अहिंसा का संदेश




सुपौल। पिपरा बाजार स्थित विनोबा मैदान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम के तीसरे दिन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी अमृता भारती ने धर्म, अहिंसा और आत्मज्ञान पर महत्वपूर्ण प्रवचन दिए।

साध्वी अमृता भारती ने अपने उपदेश में कहा कि "अहिंसा परमो धर्म:" के सिद्धांत को जीवन में आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि समाज में आज हर व्यक्ति के मन में एक 'कसाई' बैठा है, जो अपने स्वार्थ और वासनाओं की कटारी चला रहा है। इस हिंसा को समाप्त करने का केवल एक ही उपाय है - आत्मज्ञान। जब तक मन आत्मज्ञान से नहीं जुड़ता, तब तक हिंसक वृत्तियों को समाप्त नहीं किया जा सकता।

साध्वी जी ने यह भी कहा कि "मन ही बंधन और मोक्ष दोनों का कारण है", और इसे अच्छे कर्मों की दिशा में मोड़ा जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे एक चाबी को एक दिशा में घुमाने से ताला बंद होता है और दूसरी दिशा में घुमाने से खुलता है, ठीक वैसे ही मन को जिस दिशा में हम ले जाते हैं, वही दिशा हमें जीवन में मिलती है।

कार्यक्रम में शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद जी ने भी गीता के ज्ञान की महिमा को बताया। उन्होंने कहा कि "कर्म प्रधान विश्व रचि राखा" और भगवान श्री कृष्णा के अनुसार ज्ञानाग्नि से सभी संचित और प्रारब्ध कर्मों को भस्म किया जा सकता है।

कार्यक्रम में सरिता भारती, प्रीति भारती, गायक गोपाल जी, जय नारायण जी, तबले पर रामचंद्र जी, संजय जी, अरविंद जी, कैलाश जी सहित पिपरा क्षेत्र के सभी सहयोगियों का योगदान सराहनीय रहा। इस आयोजन से स्थानीय निवासियों को गीता और रामचरितमानस के गहरे ज्ञान से अवगत कराया गया।


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