सहरसा : कोसी प्रमंडल में किसानों की एकता का आह्वान
सहरसा। कोसी प्रमंडल में किसानों और मजदूरों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए एक दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में किसान संघर्ष समिति बिहार के अध्यक्ष जवाहर यादव निराला ने कहा कि कोसी प्रमंडल में किसानों को एकजुट करने के लिए जल्द ही एक किसान महासभा का आयोजन किया जाएगा।
उक्त दो दिवसीय सम्मेलन रविवार एवं सोमवार को सहरसा जिला अंतर्गत सिमरी बख्तियारपुर के बलवाहाट में स्थित मटेश्वर धाम काँठो के धर्मशाला में आयोजित हुई संपन्न हुई।
इस अवसर पर जवाहर यादव निराला ने कहा, "कोसी प्रमंडल में किसानों को एकजुट करने के लिए हम जल्द ही एक किसान महासभा का आयोजन करेंगे। हमारी मांगें सुनने के लिए हम प्रमंडल आयुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे।"
प्रथम दिन के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर किसान मजदूर संघ पूर्णिया के जिलाध्यक्ष अनिरुद्ध मेहता के साथ मजदूर नेता शत्रुघ्न प्रसाद यादव और सुरेश गांधी ने कहा कि कोसी प्रमंडल के किसानों के साथ बहुत शोषण हो रहा है यहां किसानों में एकता की कमी है। किसान अपने मांगों के समर्थन में जनप्रतिनिधि और कमिश्नर को अपना ज्ञापन सौपेगे।
इस सम्मेलन के आयोजन में किसान संघर्ष समिति बिहार के सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सम्मेलन के माध्यम से किसानों और मजदूरों को एकजुट करने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए एक मजबूत प्रयास किया गया है।
दूसरे दिन दूसरे सत्र में भाई सुधाकर ने किसानों की समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए संगठन को मजबूत करना होगा। हमें पंचायत स्तर तक जाकर किसानों को जागरूक करना होगा। जिन राज्यों में किसानों का संगठन मजबूत है वहाँ किसानों के आगे सरकार को झुकना पड़ा है।
सम्मेलन में मौजूद शशांक राज ने किसानों की दयनीय पर कहा कि नगर निकायों (नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम इत्यादि) में खेती वाली जमीन पर होल्डिंग टैक्स की समस्या को विस्तार से रखा। उन्होंने बताया कि कृषि से होने वाली आय से अधिक किसानों पर होल्डिंग टैक्स लगाया गया है जो किसानों के साथ ज्यादती है। वहीं सुपौल से आए युवा किसान प्रमोद कुमार यादव ने कोसी पीड़ित किसानों के मुद्दे पर प्रकाश डाला।
इस सम्मेलन को किसान संघर्ष समिति बिहार के अध्यक्ष जवाहर यादव निराला सहित पूर्व मुखिया नाथो प्रसाद यादव, किसान नेता श्रवण मुखिया, पाण्डव कुमार, किसान नेता जगदीश यादव, अशोक कुमार पोद्दार, संतोष कुमार यादव, शम्भू कुमार, बँटी कुमार, मिथिलेश यादव, शशांक राज, प्रमोद कुमार यादव, भाई सुधाकर, मुकेश कुमार सिंह, सुरेश कुमार, अनोज यादव, मो० नूर आलम, रामअवतार यादव, संजीव कुमार सिंह, रोशन कुमार, हर्ष यादव, विक्रम कुमार, रामप्रसाद यादव, विजेंद्र यादव सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।
इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मांगें रखी गईं, जिनमें से कुछ प्रमुख मांगें हैं:
एमएसपी की गारंटी: स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी की गारंटी किया जाए।
किसानों को कर्ज से मुक्ति: किसानों और मजदूरों को सभी तरह के कर्ज से मुक्त किया जाए।
बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना: बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए और किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली दी जाए।
किसान पेंशन योजना: सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।
उपरोक्त मांगों सहित अन्य मांगे इस प्रकार है:1. उर्वरक सहित कृषि लागत कीमतों को कम किया जाए।
2. एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए।
3. बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली मुहैया किया जाए।
4. लखिमपुरखिरी में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए। लखिमपुर में शहीद और घायल हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान किया जाए।
5. चारागाह की जमीन को भू-माफ़िया से मुक्त करा प्रत्येक पंचायत में चारागाह की व्यवस्था की जाए।
6. अप्रभावी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सुखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करे। नुकसान का आकलन व्यक्तिगत भूखंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।
7. सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।
8. किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाए।
9. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, और शहीदों किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाए।
10. बिहार में एपीएमसी अधिनियम को पुनः बहाल किया जाए और कृषि मंडी को चालू किया जाए।
11. धान, गेहूँ, मक्का, फल, सब्जी, मखाना, मछली, मुर्गी, सहित सभी कृषि उत्पाद की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी की जाए। फल एवं सब्जी के रखरखाव हेतु सभी जिलों में कोल्ड स्टोरेज बनाया जाए।
12. किसानों को अनुदानित दर और उचित समय पर, पर्याप्त मात्रा में, उर्वरक, उन्नत बीज, कीटनाशक एवं अन्य कृषि सामग्री उपलब्ध किया जाए।
13. बिहार में बंद परे सभी चीनी मिलों को पुनः चालू किया जाए। चीनी मिलों पर किसानों की बकाया राशि का ब्याज सहित अविलम्ब भुगतान किया जाए। गन्ना के उत्पादन में लागत मूल्य की वृद्धि के मद्देनजर तत्काल गन्ने का खरीद मूल्य ₹500 प्रति क्विंटल किया जाए।
14. दुग्ध उत्पादकों को ₹10 प्रति लीटर सरकारी अनुदान सुनिश्चित किया जाए। दुध और दुध उत्पादों के आयात पर रोक लगाया जाए।
15. बाढ़, सुखाड़, जल-जमाव की समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस योजना बनाई जाए। बिहार के सभी अधूरे और जर्जर सिंचाई परियोजनाओं का जीर्णोद्धार तथा आधुनिकीकरण किया जाए।
16. बिहार में भू-सर्वे के नाम पर मची लूट व धाँधली पर रोक लगाया जाए। जमीन के ऑनलाइन परिमार्जन में गड़बड़ी पर सख्ती से रोक लगाया जाए।
17. भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की अवहेलना करते हुए विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी योजनाओं के नाम पर किसानों से जबरन कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाया जाए।
18. बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों के घर-मकान उजाड़ने की कार्रवाई पर रोक लगाया जाए। सरकारी घोषणा के अनुसार सभी भूमिहीन को 5 डिसमील जमीन वास एवं आवास के लिए मुहैया कराया जाए।
19. जन वितरण प्रणाली को सुदृढ करते हुए खाद्य सुरक्षा की गारंटी की जाए।
20. मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ते हुए, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम और ₹600 मजदूरी की गारंटी की जाए। मनरेगा के बजट आवंटन में कटौती को वापस लिया जाए।
21. आवारा एवं जंगली पशु से फसलों की सुरक्षा की गारंटी की जाए।
22. बँटाईदार किसानों का निबंधन किया जाए। बँटाईदार किसानों को सभी तरह के सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाए।
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