- पर्यटन है विश्व का सबसे बड़ा उद्योग
- मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान
सुपौल। भगवान दीना-भद्री के विचारों को जन-जन में पहुंचाने के उद्देश्य से सुपौल सदर प्रखंड अंतर्गत चौघारा के वार्ड नंबर-04 स्थित दीना भद्री मंदिर परिसर में चार दिवसीय लोक देवता दीना भद्री महोत्सव 2024 का द्वितीय दिन का कार्यक्रम बहुत ही शानदार तरीके से संपन्न हुई। लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डाॅ. अमन कुमार के अध्यक्षता में आयोजित समारोह को बिहार विधानसभा के पर्यटन उद्योग सम्बंधित समिति के सभापति सत्यदेव राम ने चौघारा की धरती को नमन करते हुए कहा कि अपने पसंदीदा पर्यटन स्थलों पर घूमना सभी का सपना होता है! दुनियांभर के पर्यटक आज भारत की ओर रुख कर रहें हैं! जिस कारण भारत का पर्यटन उद्योग अत्यधिक तेजी से फल-फूल रहा है! पर्यटन विश्व का सबसे बड़ा उद्योग है। मॉरीशस की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है! भारत के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर राज्य की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन है। किसी क्षेत्र या राष्ट्र के विकास में पर्यटन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कोशी में पर्यटन की क्षेत्र में असीम संभावना है! जिस पर कार्य कर कोशी की तस्वीर बदली जा सकती है! कहा कि गरीबों के असली नायक है दीना भदरी ! लोकदेवता दीना भदरी को राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित किया जाएगा। लोरिक धाम व दीना भदरी स्थल चौघारा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई विकासात्मक कार्य किए जाएंगे। दीना भदरी के विचारों को जन-जन में पहुँचा कर ही सामंतवाद, जुल्म-अत्याचार के खिलाफ समाज को जागरूक किया जा सकता है।
रोसड़ा के विधायक बिरेन्द्र पासवान ने कहा कि दीना भदरी की लोकगाथा आज भी गरीबों के बीच काफी प्रसिद्ध है। बिहार सरकार भी गुमनाम लोक देवता एवं महापुरुष को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाकर प्रसिद्धि दिलाने की दिशा में प्रयास कर रही है। अगिआंव के विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि दीना भदरी स्थल को विकसित करने के लिए समाज को भी तत्परता से प्रयास करना चाहिए। हम लोग भी इस दिशा में सार्थक प्रयास करेंगे। दीना भदरी अपने कर्म के बल पर जननायक बने। जिसे चाह कर भी कोई मिटा नहीं सकता है। सभी सदस्यों ने डॉ. अमन कुमार के द्वारा चलाए जा रहे मृत्युभोज छोड़ो अभियान का पूर्ण समर्थन किया। अभियान के सूत्रधार डॉ . अमन कुमार ने सभा के अध्यक्षता करते हुए कहा कि मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है। मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है। मृत्युभोज से समाज और देश को पूर्ण आजादी चाहिए। इसके लिए जन जागरूकता अति आवश्यक है। कुरीति से नाता तोड़ते हुए शिक्षा से प्रेम करने की आवश्यकता है। शिक्षा सर्वश्रेष्ठ शक्तिशाली हथियार है। जिसके बल पर दुनिया बदल सकते हैं। प्रत्येक दिन दीना भदरी के जीवनगाथा पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जो काफी प्रेरणादायक और प्रासंगिक। महोत्सव में भगवानदत्त यादव, गांगो सादा, चौठी सादा, सुरेश सादा, चंपा देवी, भोला सादा, सुनील सादा, अरविंद यादव, सुभाष यादव, युगेश्वर यादव, कृष्ण कुमार, संजय सादा, छोटेलाल सादा, बेचन सादा, राम सादा, उमेश सादा, अशोक शर्मा, ललन शर्मा, कंगाली शर्मा, अकाली शर्मा आदि ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।
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