सुपौल। इस बार अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा पूजा मंगलवार 17 सितंबर को मनाया जायेगा। बहुत दिनों के बाद ऐसा संयोग प्राप्त हुआ है, जो भगवान अनंत और सृष्टि के रचयिता भगवान विश्वकर्मा का एक ही दिन आवाह्न, स्थापन एवं पूजन होगा। अनंत चतुर्दशी तथा भगवान विश्वकर्मा महात्म पर प्रकाश डालते हुए आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि इस दिन भक्तगण अपने लौकिक कार्यों से मन को हटाकर ईश्वर भक्ति में अनुरक्त हो जाते हैं। कहा कि अनंत का अर्थ है जिसका कभी अंत न हो। यह अनंत व्रत करने से धन पुत्र आदि प्राप्ति के कामना हेतु किया जाता है। अनंत की 14 गांठे 14 लोको की प्रतीक है। उनमें अनंत भगवान विद्यमान है। इस व्रत की कथा बंधु बांधव सहित सुननी चाहिए। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा होने से यह बड़ा ही दुर्लभ योग हो गया है। क्योंकि प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा विश्वकर्मा जयंती के रूप में संपूर्ण भारत में हर्ष उल्लास धूमधाम से मनाया जाता है। यह अभियांत्रिक तत्व के देवता हैं। धर्मशास्त्र पुराण आदि ग्रंथ तथा उपनिषद के ग्रंथो में भी इन्हें शिल्पिकार माना गया है। विश्वकर्मा भगवान के पास अनेक प्रकार के ज्ञान विज्ञान के विशिष्ट भंडार हैं। इसीलिए वे न सिर्फ मनुष्य बल्कि देवताओं के द्वारा भी पूजे जाते हैं। पुष्पक विमान का निर्माण विश्वकर्मा ने किया, जो आदिकाल से लेकर आज जहाज के रूप में हम सभी उन्हें स्मरण करते हैं। 17 सितंबर को यह पर्व संक्रांति के लिए जाने जाते हैं। क्योंकि विश्वकर्मा पूजा को तिथि इत्यादि से मतलब नहीं है। उनको केवल संक्रांति से ही मतलब है, जो खड़सीती संक्रांति के नाम से जाने जाते हैं। 11:26 प्रातः काल से लेकर 5:50 संध्या तक संक्रांति का पुण्य कल का समय है। इसी दिन दस दिनों तक चलने वाले गणेश पूजा का भी विसर्जन होंगे।
एक ही दिन मनाया जायेगा अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा पूजा, बहुत दिनों के बाद प्राप्त हुआ है ऐसा संयोग
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