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शून्य जुताई विधि से लगाई गई गेहूं की फसल का हुआ बेहतर उत्पादन, प्रति हेक्टेयर पचास क्विंटल से अधिक की हुई उपज



सुपौल। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित छातापुर प्रखंड के मधुबनी में शून्य जुताई तकनीक से लगाई गई गेहूं की फसल कटाई कार्य का स्थानीय किसान मो अनिश हैदर के प्रक्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरके सोहाने के द्वारा शुभारंम्भ किया गया। निदेशक ने बताया कि फसल कटाई के आधार पर जिले में फसलों की औसत उपज और उत्पादन के आंकड़े तैयार किए जाते हैं, जिससे उत्पादन की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। निदेशक ने किसानों की समस्याओं से अवगत होने के साथ-साथ कृषकों को मोटे अनाज की खेती का रकवा बढ़ाने तथा उसके प्रसंस्करण पर जोर दिया। साथ ही साथ जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत चयनित मधुबनी एवं उधमपुर में महीने के प्रथम गुरुवार, परियाही में दूसरे, लालगंज में तीसरे तथा भरतपुर में चौथे गुरूवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ-साथ उनके फिडबैक एवं समसायिक समस्या पर परिचर्चा एवं समाधान करने की बात कही।



अनुमंडल कृषि पदाधिकारी राहुल कुमार, छातापुर प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी तथा किसान सलाहकार की उपस्थिति में रैंडम तालिका स्तंभ के आधार पर 10 मीटर लम्बाई एवं 5 मीटर चौड़ाई के आयाताकार प्रयोगनात्मक खण्ड का निर्धारण किया गया। हर खण्ड में लगे गेहूं के फसल की प्रभेद डीबीडब्लू-187 की कटाई की गई। इसमें 25.3 किलोग्राम गेहूं का उत्पादन पाया गया। जिसके अनुसार एक हेक्टेयर में 50.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त हुआ। वहीं कृषकों द्वारा लगाई गई परंपरागत विधि से गेहूं का उत्पादन 38 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पाया गया। निदेशक द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के क्रियाकलापों की समीक्षा करते हुए वैज्ञानिकों को निर्देश दिया कि किसानों की समस्याओं के अनुसार अपने प्रत्यक्षण का निर्धारण करें तथा बदलते जलवायु परिदृश्य में धान, गेहूं के साथ मोटे अनाज से संबंधित तकनीकों का समावेश करें। उसके अच्छादन में विस्तार करने के लिए प्रशिक्षण, जारूकता एवं प्रत्यक्षण पर बल दें। निदेशक द्वारा बिहार कौशल विकास मिशन के अन्तर्गत संचालित मखाना उत्पादन सह प्रसंस्करण पर संचालित प्रशिक्षण कार्यक्र के प्रशिक्षणार्थियों के बीच प्रशिक्षण कीट का वितरण किया गया।



प्रशिक्षाणार्थियों को संबोधित करते हुए भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया के प्राचार्य डॉ पारस नाथ ने कहा कि किसानों को मखाना की खेती के साथ-साथ उसके प्रसंस्करण एवं बाजार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र राघोपुर के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ मिथिलेश कुमार राय द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अन्तर्गत खेती की छोटी-छोटी तकनीकों को समावेश कर उत्पादकता में वृद्धि व खेती के संसाधन में संरक्षण कर कम लागत में अधिक से अधिक शुद्ध लाभ प्राप्त करने की गुड़ बताया। केन्द्र के प्रक्षेत्र पर संचालित दीर्घकालिक प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र का भ्रमण कराते हुए, विभिन्न तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यक्रम में नीलेश कुमार, नदीम अख्तर, डॉ निराल कुमार, मिस अलिसा, डॉ रश्मि कुमारी, डॉ दीपक कुमार, सुमन कुमार चौधरी, जेके पासवान सहित 100 से अधिक किसान मौजूद थे।

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