- एस एच-91 के किनारे अवैध दुकानों का निर्माण कर किराया वसूल रहे
अतिक्रमणकारी
सुपौल। जिले के छातापुर प्रखंड मुख्यालय में अतिक्रमण का बाजार गर्म है। बाजार क्षेत्र में एस एच-91 का किनारा अतिक्रमणकारियों की जागीर में शामिल हो चुका है तो सरकारी कार्यालयों के आगे अस्थायी दुकानें बनाकर व्यवसाय किया जा रहा है। साहबों की मेहरबानी ऐसी कि चंद रसूखदार सरकारी भूमि पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण कर भाड़े पर चढ़ा चुके हैं जिससे प्रतिमाह हजारों रुपए किराये की वसूली हो रही है। अतिक्रमणकारियों का हौसला इतना बुलंद है कि अब सरकारी कार्यालय परिसर तक का अतिक्रमण हो रहा है और जिम्मेदार की चुप्पी उनकी अनदेखी को उजागर कर रहा है। कुत्सित मानसिकता और जिम्मेदार की अनदेखी का नतीजा है कि ठीक अंचलाधिकारी के आवास के सामने पशु चिकित्सालय परिसर में स्थायी अतिक्रमण का नजारा पेश्तर है। वहीं मनरेगा कार्यालय के आगे दुकानों का निर्माण हो रहा है बावजूद जिम्मेदारों के जुबान सिले हैं। ऐसा क्यों और कैसे हो रहा है यह बताने की नहीं, समझने की बातें हैं।
एक तरफ जहां अतिक्रमण हटाने को लेकर अदालती आदेश की गंभीरता सामने है। वहीं दूसरी ओर अतिक्रमण की जद में आ रहे सरकारी भूमि को बचाने के लिए किसी प्रकार के प्रयास सामने नहीं आ रहे। तो क्या ऐसा मान लिया जाए कि ऐसा कुछ संबंधितों की मर्जी से हो रहा है! मुख्य सड़क किनारे अतिक्रमण के कारण प्रतिदिन जगह-जगह जाम से जूझना आम आदमी की नियती बन चुकी है और इस समस्या के स्थायी निदान के लिए ठोस पहल नहीं हो पा रही है। सालभर पूर्व अतिक्रमण हटाने की कवायद बड़ी जोर शोर से शुरू हुई थी। इसके तहत अतिक्रमणकारियों को चिह्नित कर सैंकड़ों नोटिस भेजे गए। भयवश चंद छोटे दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानें भी हटा ली और साहबों ने फोटो खींच-खींचकर कार्रवाई की खूब लकीरें खींची। लेकिन उक्त मुहिम जब तक रसूखदारों के अहाते तक पहुंचती उससे पहले ही दम तोड़ गई। जानकार बताते हैं कि अब जो सरकारी कार्यालयों के आगे अतिक्रमण का दौर चल रहा है उसमें संबंधितों के मौन सहमति की बू आ रही है। हालात स्पष्ट हैं कि ' माल महाजन का और मिर्जा खेले होली' की तर्ज़ पर जमीन सरकार की और मालिक कोई और बनकर मालामाल होने की जुगत में भिड़ा है। बावजूद सकारात्मक पहल नहीं हो पा रहा है।
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