सुपौल। सदर अस्पताल के सभा भवन में मंगलवार को टीबी रोगियों की पहचान एवं जागरूकता को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार झा ने किया। कार्यशाला में जिले के विभिन्न प्रखंडों के एएनएम, जीएनएम सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। वरीय यक्ष्मा प्रयोगशाला पर्यवेक्षक मो रेहान आलम के द्वारा उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। मो रेहान ने उपस्थित स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षक ने बताया कि जिले के चार प्रखंडों में ट्रूनेट मशीन के द्वारा टीबी का जांच किया जाता है। जबकि सदर अस्पताल में सीबीनाट एवं एफएम माइक्रोस्कोप के द्वारा जांच किया जाता है। बताया कि कई बार अन्य जांच मशीन से टीबी के रोगियों की पहचान नहीं हो पाती है। लेकिन सीबीनाट एवं माइक्रोस्कोप के द्वारा प्रारंभिक लक्षण वाले मरीज की भी पहचान कर ली जाती है। बताया कि बीमारी से बचाव को लेकर प्रखंड स्तर पर कैंप लगा कर समय-समय पर बीमारियों से बचाव हेतु शिविर का आयोजन किया जाता है। कार्यशाला में रेडक्रॉस सचिव राम कुमार चौधरी, निखिल कुमार, अनिकेत सिंह, प्रदीप कुमार, लक्ष्मण कुमार साह, त्रिपुरारी सिंह, प्रिया कुमारी, आराधना कुमारी, सविता कुमारी, अनिल कुमार, सुमन कुमारी आदि मौजूद थे।
प्रशिक्षण में मौजूद जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अजय झा ने बताया कि टीबी (यक्ष्मा) जानलेवा बीमारी है। टीबी रोग का उपचार उसी समय प्रभारी है, जब वह दी जाने वाली औषधि बताये गये समय तक लगातार खाता रहे। मरीज को दी गयी दवाई में से कुछ ही दवाईयां खाना या बीच में इलाज छोड़ देना बहुत ही घातक है। इससे यक्ष्मा रोग असाध्य हो जाता है। टीबी के रोगाणु वायु द्वारा फैलता है। यक्ष्मा का रोगी अगर खांसता या छींकता है तो वह लाखों-करोड़ों की संख्या में टीबी के रोगाणु थूक के छोटे कनों के रूप में वातावरण में फैलता है। बलगम के छोटे-छोटे कन जब सांस के साथ स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है तो स्वस्थ्य व्यक्ति यक्ष्मा रोग से ग्रसित हो जाता है। बताया कि टीबी रोग के प्रारंभिक लक्षण जैसे दो सप्ताह या दो सप्ताह से अधिक समय से लगातार खांसी का होना, बलगम के साथ खून आना, बिना कारण शरीर का वजन कम होना, लगातार लंबे समय तक बुखार रहना, रात में पसीना आना, छाती में दर्द होना, भूख कम लगना आदि है। टीबी मरीजों को सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधा में यक्षमा से संबंधित मुफ्त जांच, यक्षमा से संबंधित मुफ्त दवाई, मुफ्त काउंसिलिंग की सुविधा, निश्चय योजना के तहत पांच सौ रूपया प्रति माह, निश्चय मित्र के तहत प्रदत्त फूड बास्केट आदि शामिल है।
यक्ष्मा नियंत्रण सह जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ चंदन कुमार ने बताया कि बीते छह वर्षों में जिले में कुल 08 हजार 83 टीबी के मरीजों की पहचान हुई है। वर्ष 2018 में 840 टीबी मरीजों की पहचान हुई। वर्ष 2019 में 1318, वर्ष 2020 में 989, वर्ष 2021 में 1146, वर्ष 2022 में 1542, वर्ष 2023 में 1938 एवं वर्ष 2024 जनवरी माह में 133, फरवरी माह में 137 मरीजों की पहचान की गयी।
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