- गुरुवार को किए गए पत्राचार में कागजात जमा करने हेतु 24 घंटे का दिया समय, सीओ व थानाध्यक्ष को भी दी प्रति
सुपौल। जिले के छातापुर में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुपालन को लेकर विभाग के पत्राचार का सिलसिला जारी है।
चिह्नित 14 निजी अस्पतालों को वैधता प्रमाणित करने हेतु संबंधित कागजात जमा करने के लिए गत 09 जनवरी को भी पत्राचार किया गया था। लेकिन तय समय सीमा के भीतर केवल एक निजी अस्पताल के संचालक ने कागजात जमा किए। नतीजतन, 11 जनवरी को पीएचसी प्रबंधन द्वारा सीएस कार्यालय को भेजी गई गैर पंजीकृत की सूची में 13 स्वास्थ्य संस्थानों के नाम शामिल थे। लेकिन पांच दिनों के भीतर दो और निजी अस्पताल के संचालकों ने सीएस द्वारा जारी प्रमाण पत्र जमा किया गया है। इस तरह 14 में से 11 के कानों पर फिर भी जूं नहीं रेंगी।
यह स्थिति तब है जबकि निजी अस्पतालो को भेजे गए पत्र में उच्च न्यायालय पटना के सीडब्ल्यूजेसी संख्या-17332/ 2023 का हवाला दिया गया है। पुन: गुरुवार को प्रखंड प्रबंधन इकाई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छातापुर ने पत्रांक-61 जारी कर शेष निजी अस्पतालों के संचालकों को वैधता प्रमाणित करने के लिए 24 घंटे का वक्त दिया है।
इस बार भेजी गई पत्र की प्रति थानाध्यक्ष व अंचलाधिकारी छातापुर एवं असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को भी सूचनार्थ प्रेषित की गई है। 18 जनवरी 24 की तिथि में कुल 11 स्वास्थ्य संस्थानों के संचालकों को भेजे गए पत्र में पीएचसी प्रभारी द्वारा उल्लेखित है कि न्यायादेश के अनुपालन के आलोक में 09 जनवरी को जारी पत्रांक-42 द्वारा छातापुर अंतर्गत संचालित अस्पताल, नर्सिंग होम/ निजी क्लीनिक संचालित करने से संबंधित सभी प्रकार के कागजात की मांग की गई थी। लेकिन आप सभी के द्वारा अभी तक अपने संस्थान के पंजीकरण से संबंधित कागजात अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। कहा है कि इससे प्रतीत होता है कि आप सभी का संस्थान गैर पंजीकृत है एवं आप सभी अवैध रूप से अपने संस्थान का संचालन कर रहे हैं।
उक्त के आलोक में सभी 11 संचालकों को पुन: आदेशित करते हुए कहा गया है कि यदि उनका संस्थान वैध है तो पत्र प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर अपने-अपने संस्थान के पंजीकरण से संबंधित कागजात अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें या अवैध रूप से संचालित संस्थान को बंद करेंगे। ताकीद की गई है कि अन्यथा की स्थिति में जिला पदाधिकारी से प्राप्त अनुमोदन के आधार पर असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सुपौल के 08 जनवरी को जारी पत्रांक-71 के आलोक में गठित धावा दल द्वारा संस्थान को सील करते हुए संबंधित संचालक के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी, जिसके पूर्ण जिम्मेदार वे स्वयं होंगें।
अब हालात पर गौर करें तो जमा कराए गए सीएस द्वारा जारी कागजात प्रोविजनल सर्टिफिकेट फोर रजिस्ट्रेशन आफ क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट के अवलोकन से ज्ञात हो रहा है कि किन्हीं को क्लीनिक विथ बेड की अनुमति दी गई है तो किन्हीं को ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू व एनआईसीयू का परमिशन दिया गया है।
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