सुपौल। तेरापंथ धर्म संघ के 11 वें आचार्य महाश्रमण जी के विद्वान सुशिष्य डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार जी एवं मुनि सुबोध कुमार जी का प्रतापगंज आगमन 27 दिसम्बर को होगा। जैन मुनियों के आगमन की तारीख तय होते ही उनके प्रवास स्थल और प्रवचन स्थल की व्यवस्था के लिए प्रतापगंज जैनश्वेताम्बर तेरापंथी सभा की एक बैठक हीरा लाल सेठिया के निवास पर शनिवार की रात सम्पन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष शंकर नौलखा ने की। श्री नौलखा ने बताया कि मुनि डा। ज्ञानेन्द्र कुमार जी अपने सहयोगी मुनि सुबोध कुमार जी के साथ वर्तमान समय में छातापुर में विराजित हैं। जहां उनका प्रवास 26 दिसम्बर तक होगा। मुनि श्री के अनुसार 27 दिसम्बर को मौसमानुसार सुबह छातापुर से विहार कर प्रतापगंज के लिए प्रस्थान करेंगे। श्री नौलखा के अनुसार मुनि श्री का सात दिनों का प्रवास प्रतापगंज में होगा। बैठक में उपस्थित सभी जैन भाईयों ने तन मन धन से सात दिवसीय मुनियों के कार्यक्रम को सफल बनाने की प्रतिबद्धता का संकल्प लिया। विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा कर कार्यक्रमों के योजनाओं को अंतिम रूप दिया गया। मुख्य रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मानमल पारख के नेतृत्व में जैन युवाओं को कार्यों की जिम्मेवारी सौंपी गई। वहीं 27 दिसम्बर के आगमन पर आयोजित कार्यक्रम में स्वागत गीत की जिम्मेदारी महिला मंड़ल को दी गई। अध्यक्ष ने बताया कि नववर्ष के प्रथम दिन मुनि श्री के मंगल भावनाओं के अनुसार मंगल पाठ और श्रावक सम्मलेन का वृहद कार्यक्रम भी आयोजित होगा। जिसमें कोशी, पूर्णिया और दरभंगा कमिशनरी के दर्जनों गांवों के सैकडों महिला पुरूष जैन धर्मावलम्बियों के पधारने की आशा की जा रही है।
कहा कि तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है। बैठक में मानमल पारख, संस्था के सचिव कालीचरण गोठी, कोषाध्यक्ष सावन गंग, महेंद्र वैद, राजकुमार सेठिया, जितेन्द्र सेठिया, विजय नौलखा, पवन श्रीमाल, छत्रसिंह नौलखा, नवरत्न सेठिया, हनुमान नाहर, मनीष छाजेड़, कमल गंग, रवि शर्मा, सुशांत जैन, प्रशांत, ऋतिक, अक्षय और नमन जैन आदि मौजूद थे।
कहा कि तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है। बैठक में मानमल पारख, संस्था के सचिव कालीचरण गोठी, कोषाध्यक्ष सावन गंग, महेंद्र वैद, राजकुमार सेठिया, जितेन्द्र सेठिया, विजय नौलखा, पवन श्रीमाल, छत्रसिंह नौलखा, नवरत्न सेठिया, हनुमान नाहर, मनीष छाजेड़, कमल गंग, रवि शर्मा, सुशांत जैन, प्रशांत, ऋतिक, अक्षय और नमन जैन आदि मौजूद थे।
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