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तीन दिवसीय प्रशिक्षण में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एंड हेल्थ केयर एसोसिएटेड इन्फेक्शन के बारे में दी जानकारी

सुपौल। सदर अस्पताल के सभागार में सिविल सर्जन सह सदस्य सचिव डॉ एलके ठाकुर एवं अस्पताल उपाधीक्षक डॉ नूतन वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एंड हेल्थ केयर एसोसिएटेड इन्फेक्शन पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन किया गया। प्रशिक्षण में पारामेडिकल के 27 छात्र-छात्रा, एएनएम की 50 छात्रा एवं जीएनएम के 53 छात्राओं ने भाग लिया। ट्रेनिंग में माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ सुभाष मिश्रा के द्वार हेल्थ केयर एसोसिएटेड इन्फेक्शन एवं बायो मेडिकल वेस्ट के बारे में विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल 2018-19 जो बताता है कि अस्पताल में डायग्नोसिस, सर्जरी, ट्रीटमेंट एवं रिसर्च के समय जो वेस्ट (अपशिष्ट) बनता है, उसे बायो मेडिकल वेस्ट कहते हैं। इनकी 10 कैटोगरीज़ है और सभी के सेग्रीगेशन के लिए अलग-अलग कॉलर कोडेड बिन्स है। जैसे पीला ( इसमें मानव शरीर का अंग सूक्ष्मजीव, एक्सपायर दावा) लाल (प्लास्टिक) उजाला (धारदार वेस्ट जैसे नीडल, ब्लेड) एवं नीला (इसमें गलास) इसके अतिरिक्त काला (पेपर वेस्ट) हरा (गीला कचरा) है। इसका ट्रांसपोर्टेशन एंड मैनेजमेंट बहुत ज़रूरी है। साथ ही उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल एक्वायर्ड इन्फेक्शन एक गंभीर समस्या है। इससे रोगी, देखभाल करने वाले अटेंडेंट, पैरामेडिकल कर्मी और डॉ भी संक्रमित हो रहे हैं। कहा कि अगर पैरामेडिकल कर्मी थोड़ा सजग हो तो इसे कम किया जा सकता है। 
 जिला कार्यक्रम प्रबंधक मो मिन्तुल्लाह ने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी के बीच ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से क्वालिटी को बेहतर करने का टिप्स दिया। कहा कि प्रशिक्षण के उपरांत सदर अस्पताल के सभी विभाग में बायोमेडिकल वेस्ट का सेग्रीगेशन सही से हो इस पर ध्यान देना है। सभी को मिलकर क्वालिटी को बेहतर बनाने का संकल्प लेने को कहा। छात्रों को संबोधित करते हुए अस्पताल प्रबंधक अभिनव आनंद ने बताया कि जब हम बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, तब हम उसे दूसरे जगह पर उपयोग कर अपना पहचान बना पाते हैं। साथ ही उन्होंने सभी छात्रों को रोस्टर को पूर्णतः पालन करने को कहा। अस्पताल प्रबंधक ने बताया कि एनक्यूएएस के प्रमाणीकरण के लिए सभी डिपार्टमेंट के इंचार्ज को प्रशिक्षु के साथ मिलकर मिशन मोड में कार्य करने को कहा। जिला गुणवत्ता यक़ीन के सलाहकार डॉ भारतेन्दु ने बताया कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से रोगी को मिलने वाले स्वास्थ्य सुविधा में सहूलित होता है। 


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