सुपौल। पिपरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत निर्मली, हटवरिया और सदर प्रखंड के हरदी दुर्गा स्थान, इटहरी, कुम्हैट में नीलगाय के आतंक से किसान परेशान हैं। झुंड में आकर नीलगाय किसानों के खेतों में लगा आलू, गेहूं, मकई व सरसों की फसलों को बर्बाद कर रहा है। रात के अंधेरा हो या दिन का उजाला इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। खाने से ज्यादा इसके खुर से फसल की बर्बादी हो रही है। फसलों के दुश्मन नील गाय इस इलाके को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। इसका तांडव फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है।
इसका आतंक इतना बढ़ गया है कि किसानों का कमर तोड़ कर रख दिया है। फसल चरने के अलावा उसे रौंदकर तहस-नहस कर दे रहा है। झुंड के झुंड खेतों में विचरण कर रहे इन जंगली जानवरों से किसानों के सामने बचाव के कोई उपाय नजर नहीं आ रहे हैं। फसलों की बर्बादी देख किसान बैचेन हो उठे हैं। किसान सत्य नारायण मंडल, रामनारायण मंडल, लालबहादुर मेहता, जागेश्वर मंडल, राजेन्द्र निराला विरेन्द्र सिंह, खट्टर शर्मा, सहदेव शर्मा, दुर्गी मंडल, उपेन्द्र मेहता, सतन कुमार, छोटे लाल साह सहित दर्जनों किसानों का कहना है कि दो दिन वर्ष पूर्व नीलगाय कभी-कभार जंगलों से भटक कर चला आता था। लेकिन इन दिनों दर्जनों की संख्या में फसलों को बर्बाद कर रहा है। जिसे देखकर किसान अपना माथा पीट रहे हैं। किसान राजेन्द्र निराला के अनुसार जंगली जानवरों के आतंक से खेत की फसलों के अलावा हो रही नुकसान चिंता का विषय बना हुआ है। नीलगायों ने कमर तोड़ कर रख दी है। सब्जी खेती करने वाले किसान रातजगा कर इसकी रखवाली कर रहे हैं। कई लोगों ने इस कारण खेती छोड़कर रोजगार की तलाश में अन्यत्र चले गए। नीलगाय की संख्या 20 से 25 है, जो कुछ ही मिनटों के भीतर बहुत कुछ बर्बाद कर जाते हैं। दिन रात पहरा देने के बावजूद नीलगाय से फ़सल को नहीं बचा पा रहे हैं। चारों तरफ फैले ये जंगली जानवर सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल, आलू की फसल मक्का, केला की फसल को बर्बाद कर दिया है। लोगों ने जिला प्रशासन से इस जंगली जानवर को पकड़कर किसी बड़े जंगल में छोड़ की मांग की है।
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