सुपौल। राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय इकाई अनूपलाल यादव महाविद्यालय त्रिवेणीगंज सुपौल के संयुक्त तत्वाधान में रविवार को विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयदेव प्रसाद यादव की अध्यक्षता में एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. विद्यानंद यादव द्वारा संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
वही प्राचार्य डॉ.जयदेव प्रसाद यादव ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बताये कि किसी भी व्यक्ति के जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान के अधिकारों को हम मानवाधिकार कहते हैं। मानव को अपना अधिकार जाने बिना उनका समुचित विकास संभव नहीं है। मानवाधिकार व्यक्ति को एक पूर्ण और विकसित मानव बनाता है। किसी भी राष्ट्र का विकास वहां के व्यक्ति के ज्ञान,अधिकार और कर्तव्य बोध पर निर्भर करता है। जिस समाज में बच्चे- बूढ़े और समाज के दबे कुचले वर्ग के व्यक्ति के अधिकार का हनन होगा,उस राष्ट्र को एक उन्नत अथवा विकसित राष्ट्र बनने का सपना सदैव एक स्वप्न ही रहेगा।
विश्व युद्ध की विभीषिका से झुलस रहे लोगों के दर्द को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा द्वारा मानव के अधिकारों की रक्षा के लिए 10 दिसंबर 1948 को उनके अपने अधिकार और कर्तव्य का बोध कराने एवं मानवाधिकार रक्षा के उद्देश्य से विश्व मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की गई।संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अधिकारिक तौर पर वर्ष 1950 को संपूर्ण विश्व में 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाने का तिथि निर्धारित किया गया।तब से संपूर्ण विश्व में 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाने लगा।हालांकि भारत में 28 सितंबर 1993 को विश्व मानवाधिकार कानून अमल में आया।12 अक्टूबर 1993 को भारत सरकार ने मानवाधिकार आयोग का गठन किया।भारतीय संविधान मानवाधिकार कानून का रक्षा करते हुए इसे तोड़ने वाले को अदालत के द्वारा सजा भी देती है।
एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो विद्यानंद यादव ने बताया विश्व मानवाधिकार का घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्र संघ का एक बुनियादी भाग है,जो व्यक्ति के विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।हमारा मौलिक अधिकार 6 है। समानता का अधिकार,स्वतंत्रता का अधिकार,शोषण के विरुद्ध अधिकार,धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार,संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार,संवैधानिक उपचारों का अधिकार,जिसे सभी को जानना आवश्यक है। मानवाधिकार आयोग के अधिकार कार्य क्षेत्र में नागरिक की राजनीति के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार के तहत बाल- मजदूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, बाल- विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, जनजाति, धर्म भेद, लिंग भेद आता है। विश्व मानवाधिकार के घोषणापत्र का मुख्य विषय-शिक्षा,स्वास्थ्य, रोजगार,आवास,संस्कृति, खाद्यान्न व मनोरंजन,धर्म-भेद लिंग-भेद तथा अन्य से जुड़ी मानव की बुनियादी मांगों से संबंधित है।परंतु विश्व के बहुत से क्षेत्र में अशिक्षा,भुखमरी,बेरोजगारी तथा तरह तरह के रोग,आवास की समस्या है,जो मानवीय अधिकार की रक्षा के लिए बहुत बड़ा बाधक है।इतना ही नहीं, बच्चे-वरिष्ठ नागरिक और महिलाओं की बुनियादी हितों के साथ नस्लभेद मानवाधिकार के कार्य के विकास के लिए बहुत बड़ा बाधक है। विश्व मानवाधिकार दिवस 2023 का थीम -"सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय रखी गई है।"(Freedom,Equality and Justice for all), मानव के अधिकारों का पहचान देना और उनके वजूद को अस्तित्व में लाना हम सबों का कर्तव्य है। स्वयंसेवकों का कर्तव्य है कि मानवाधिकार संबंधी जागरूकता फैलाकर,सभ्य,स्वच्छ एवं विकसित समाज के निर्माण में सहयोग करें।
वही कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षक प्रो. अशोक कुमार,प्रो. अरुण कुमार,तृतीय इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. शंभू यादव,द्वितीय इकाई के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. कुमारी पूनम तथा अन्य एवं शिक्षकेतर कर्मचारी गण सुरेंद्र कुमार,गगन कुमार,दिग्दर्शन, दिलीप दिवाकर,मुकेश कुमार,रंजन कुमार तथा अन्य एवं एनएसएस के पूर्व स्वयंसेवक रणजीत सिंह, अभिजीत कुमार,सोनाली कुमारी,मेघा राई,दीक्षा कुमारी,रिया कुमारी,अजय कुमार और स्वयंसेवक रिया भारद्वाज,श्वेता जैन,सरिता कुमारी,चांदनी कुमारी,मनीषा कुमारी,रोशन राज,शुभम कुमार,आंचल कुमारी, पूजा कुमारी,निशा कुमारी,सोनी कुमारी,साधना कुमारी,निहारिका कुमारी,काजल कुमारी,स्मृति कुमारी,नूतन कुमारी,नविता कुमारी,गुंजन कुमारी,शिल्पी ज्योति,सनत नगमा,लवली कुमारी,अंकिता भारती,रितु कुमारी,आयुष कुमार अग्रवाल, निभा कुमारी,निक्कू कुमारी, खुशबू कुमारी,आयुषी कुमारी, प्रियांशु कुमारी,लकी जूही,मुस्कान कुमारी,सौम्या कुमारी, अईशा प्रवीण तथा अन्य उपस्थित थे।
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