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काफी सफल रहा 3रा राष्ट्रीय लोक अदालत: 3283 मामलों का निष्पादन, वसूली गई साढ़े सात करोड़ रुपये से अधिक धनराशि

कार्यक्रम का उद्घाटन करते पदाधिकारीगण
शशांक राज सुपौल । 

    जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में शनिवारको
राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार धर्मेन्द्र कुमार जायसवाल, जिलाधिकारी के प्रतिनिधि मुकेश कुमार (डीडीसी), एडीजे सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रणविजय कुमार, पुलिस अधीक्षक शैशव यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। 

कार्यक्रम का उद्घाटन करते पदाधिकारीगण

    इस मौके पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार धर्मेन्द्र कुमार जायसवाल ने कहा कि इस वर्ष का यह तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत है।  इसमें हर प्रकृति के सुलहनीय वादों का निपटारा करना है। हमलोगों का प्रयास है कि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले। लोगों की सुविधा के लिए सुपौल में 12 और वीरपुर में 4 बेंच बनाए गए हैं। 
     

उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति लोक अदालत में आए है उन्हे उनके मामलों को सुलह समझौतों के आधार पर खत्म कर दिया जाए। ताकि दोनों पक्षों में प्रेम संबंध बना रहे। साथ ही कोर्ट फीस के रूप में जो भी खर्चा हुआ है वह भी उन्हे वापस मिल जाता है। वहीं विकलांग लोगों के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से आज हेलमेट के साथ छह इलेक्ट्रिक ट्राई साइकिल का वितरण किया गया है। 

        साथ ही अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री अंतर जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत गुड़िया कुमारी पति रोहित कुमार एवं कोमल कुमारी पति गोपाल झा को एक लाख का चेक दिया गया है। श्री जायसवाल ने कहा कि हमलोगों का यह प्रयास है कि इस लोक अदालत में पिछली बार से अधिक वादों का निष्पादन किया जाए। 

        वहीं एडीजे सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रणविजय कुमार ने कहा कि व्यवहार न्यायालय के वैसे सुलहनीय वाद जिन्हें आपसी सहमति से निष्पादित किया जा सकता है उनसे जुड़े पक्षकार यहां आकर अपने वाद का निष्पादन करवा सकते हैं। उनका समय और धन दोनों बचता है। जो पैसा आप कानूनी लड़ाई लड़ने में लगाएंगे उसका उपयोग अपने परिवार के समृद्धि के लिए कर सकते हैं। 

उन्होंने कहा की पक्षकारों को कोर्ट में हाजिरी नहीं देनी पड़ती है, कोई फीस नहीं देनी पड़ती है, वकील साहब की जरूरत नहीं पड़ती है। लोगों के हित में यह प्रक्रिया लगातार चल रही है। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से सभी पक्षकारों को नोटिस जाता है। पिछली लोक अदालत में करीब साढ़े 500 मामलों का निष्पादन किया गया था। 

    वहीं आरक्षी अधीक्षक शैशव यादव ने कहा कि किसी भी विवाद की परिस्थिति में अगर आप कानूनी प्रक्रिया में जाते हैं तो काफी लंबा प्रोसेस होता है जिसमें काफी समय लगता है और काफी पैसा भी खर्च होता है। लोक अदालत से लोगों में एक आशा जगी है कि उनके मामलों का निष्पादन हो जाएगा। वाकई में यह एक ऐसा मंच है जिसमें माननीय न्यायालय आपके घर आकर आपके मामलों का समाधान करता है।

    इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय बैष्णों शंकर मेहरोत्रा, आरक्षी अधीक्षक शैशव यादव, उप विकास आयुक्त मुकेश कुमार, अनन्य उत्पाद न्यायालय 1 संदीप अग्निहोत्री, अनन्य उत्पाद न्यायालय 2 अमित कुमार सहित अन्य न्यायिक अधिकारी मौजूद थे। मंच संचालन मुंसिफ़ आयुषी चौधरी ने किया। 

सुपौल कोर्ट और बीरपुर कोर्ट का सम्मिलित विवरण

  • पोस्ट लिटिगेशन केस - 430
  • निष्पादित वाद से वसूली गई धनराशि - 56,97,342/=00
  • प्री - लिटिगेशन केस -  1543
  • निष्पादित वाद से वसूली गई धनराशि - 3,52,79,736=00
  • प्री लिटिगेशन एवं पोस्ट लिटिगेशन मिलाकर कुल निष्पादित वाद- 1973 
  • निष्पादित वाद से वसूली गई कुल धनराशि - 4,09,77,078/=00 (चार करोड़ नौ लाख सतहतर हजार अठहत्तर रुपया

बैंक से संबंधित वाद एवं वसूली गई धनराशि का विवरण

  • सुपौल- निष्पादित वाद 960 वसूली गई धनराशि 2,18,81,630/=00
  • बीरपुर- निष्पादित वाद 350 वसूली गई धनराशि 1,33,44,701/=00
  • कुल वाद - 1310 वसूली गई कुल धनराशि - 3,52,26,331/=00

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