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कटिहार सदर अस्पताल में एक महिला ने दिया एक साथ तीन नवजात शिशुओं को जन्म, सभी पूरी तरह से स्वस्थ्य एवं सुरक्षित


  • एएनसी जांच को लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है डोर टू डोर भ्रमण: सिविल सर्जन
  • गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पहले एवं बाद में दिया जाता है उचित परामर्श: अस्पताल प्रशासन
  • एएनसी एवं उचित पोषण परामर्श के कारण तीनों बच्चों का हुआ सुरक्षित प्रसव: डॉ तरन्नुम हिना
  • विशेष देखभाल के लिए एसएनसीयू में तीनों नवजात शिशुओं को रखा गया: डॉ एके देव

कटिहार। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में एक महिला ने एक साथ तीन-तीन नवजात शिशुओं को जन्म दिया है। सभी पूरी तरह से स्वस्थ एवं सुरक्षित हैं। प्रसव कक्ष की प्रभारी जीएनएम नीलू रीचल किस्कू ने बताया कि हफलागंज निवासी मोहम्मद इसलाम की 25 वर्षीय पत्नी जनाती खातून ने तीन नवजात शिशुओं को जन्म दिया है। महिला चिकित्सक डॉ तरन्नुम हिना, जीएनएम वायलट टुडू, सुविता, पिंकी, अर्चना कुमारी द्वारा संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव कराया गया। प्रभारी नीलू ने बताया कि सदर अस्पताल स्थित प्रसव गृह में अप्रैल 2022 में 488, मई में 407, जून में 408, जुलाई में 646 एवं अगस्त महीनें में 778 प्रसव संस्थागत एवं सुरक्षित कराया गया है। 

एएनसी एवं उचित पोषण परामर्श के कारण तीनों बच्चों का हुआ सुरक्षित प्रसव: डॉ तरन्नुम हिना

प्रसव कराने वाली महिला चिकित्सक डॉ तरन्नुम हिना ने बताया कि तीनों बच्चों का जन्म पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हुआ था। किसी तरह की  कोई परेशानी नहीं हुई। तीनों बच्चे अलग-अलग थैली में थे। तीनों बच्चे स्वस्थ्य एवं सुरक्षित होने के साथ ही उसका आकार एवं वजन भी ठीक है। अमूमन ऐसा देखा जाता है कि जुड़वां बच्चे एक ही थैली में होते हैं। तीनों बच्चे एक साथ स्वस्थ्य होने के पीछे सबसे अहम कारण यह है कि पहला एवं दूसरा बच्चा सिर की ओर से यानी  सीधा था जबकि तीसरा बच्चा जन्म के समय पैर की ओर से (उल्टा) था। जिस कारण कोई परेशानी नहीं हुई। प्रसव पूर्व जांच एवं उचित पोषण परामर्श के कारण ही संस्थागत प्रसव कराया गया है।

विशेष देखभाल के लिए एसएनसीयू में तीनों नवजात शिशुओं को रखा गया: डॉ एके देव

विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके देव ने बताया कि जन्म के समय तीनों बच्चों का वजन औसत होने के साथ ही सांस लेने में कोई परेशानी नहीं थी। यदि जन्म के समय नवजात शिशुओं का वज़न कम होता हैं तो धातृ माताओं को कंगारू मदर केयर भेजा जाता है लेकिन ऐसा नहीं था। बच्चा अपनी मां का दूध पीने के साथ ही गोद में उछलकूद कर रहा था। जिस कारण रेडियंट वार्मर के माध्यम से नवजात शिशुओं को तापमान के अनुसार रखने के लिए ही यहां रखा गया है। लेकिन जल्द ही उसको डिस्चार्ज कर दिया गया।

एएनसी जांच को लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है डोर टू डोर भ्रमण: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ डीएन झा ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती माताओं को कई प्रकार की सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाती हैं। अस्पताल प्रशासन द्वारा पंजीकरण के साथ ही गर्भवती माताओं को सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका दी जाती है। जिसमें गर्भवती माताओं की ऊंचाई, वजन, नब्ज, बीपी सहित कई अन्य प्रकार की जांच की जाती हैं। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाली आशा कार्यकर्त्ता, एएनएम सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी डोर टू डोर भ्रमण कर गर्भवती माताओं को सूचीबद्ध करने के साथ ही प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने में जुटे रहते हैं। उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान एवं नवजात शिशुओं के जन्म की तैयारियां अस्पताल प्रशासन द्वारा की जाती है। ताकि प्रसव पीड़ा के समय उत्पन्न होने वाले ख़तरे से मजबूती के साथ लड़ा जा सके।

गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पहले एवं बाद में दिया जाता है उचित परामर्श: अस्पताल प्रशासन

सदर अस्पताल की अधीक्षक डॉ आशा शरण ने बताया कि सरकार द्वारा अतिमहत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच चार बार कराना होता है। वहीं जिला अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक भवेश रंजन ने बताया कि सदर अस्पताल में प्रसव कराने वाली गर्भवती माताओं की कई प्रकार की जांच मुफ्त की जाती हैं, जैसे: हीमोग्लोबिन, यूरिन एल्बुमिन, शुगर, मलेरिया, वीडीआरएल, एचआईवी, रक्त ग्रुप सहित उन्हें टीटी, आयरन टैबलेट, फोलिक एसिड, कैल्सियम टैबलेट एवं चिकित्सीय परामर्श के अनुसार दवाएं भी निःशुल्क दी जाती हैं। सभी गर्भवती महिलाओं को आहार, नींद, नियमित एएनसी जांच, संस्थागत प्रसव, स्तनपान, गर्भ निरोधक से संबंधित उचित परामर्श भी दिया जाता है।


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