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20 जून को मारपीट से गर्भपतन की शिकार हुई महिला के साथ 18 अप्रैल को भी हुई थी घटना, अररिया में लिए फर्द पर हुआ था केस

  •  पूर्व के नामजद ने ही फिर से घटना को दिया अंजाम, समय पर हुई होती उचित कार्रवाई तो बच सकती थी नवजात की जान




पूर्व की घटना को ले पीड़िता द्वारा 18 अप्रैल को दिया गया फर्द बयान व दादी के गोद में मृत नवजात व साथ में पीड़िता।
 सुपौल न्यूज ब्यूरो

छातापुर (सुपौल)। भीमपुर थाना क्षेत्र के जीवछपुर पंचायत स्थित वार्ड नंबर 13 में गर्भवती के साथ मारपीट व गर्भपात की घटना को लेकर पुलिस ने थाना कांड संख्या- 63/2022 दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया है। हालांकि मामले में थानाध्यक्ष द्वारा आवेदिका भूलिया देवी के पूर्व से उपचाररत रहने की बात कही जा रही है और विपक्षियों के आवेदन पर थाना कांड संख्या-64/2022 भी दर्ज किया गया है। लेकिन लब्बोलुआब यह है कि दो माह पूर्व भी लखीचंद मुखिया सहित अन्य लोगों ने ही गर्भवती के साथ गंभीर रुप से मारपीट किया था। आवेदिका के अनुसार यह घटना 18 अप्रैल 2022 को ही घटित हुई थी। गर्भवती को गंभीर पीड़ा के अवस्था में नरपतगंज पीएचसी ले जाया गया था जहां से बेहतर उपचार के लिए सदर अस्पताल अररिया रेफर किया गया। तब अररिया पुलिस के एएसआई रतन दास ने सदर अस्पताल पहुंचकर पीड़िता का फर्द बयान लिया था और भीमपुर थाना में सात दिन बाद 25 अप्रैल 2022 को कांड संख्या- 37/ 2022 अंकित किया गया। आवेदन के अनुसार घटना भूमि विवाद के कारण घर के तोड़फोड़ से जुड़ा था और तब चार माह की गर्भवती भूलिया देवी के रोकने पर उसके साथ मारपीट की गई थी। मामले का रोचक पहलू यह है दो माह पूर्व गर्भवती के साथ मारपीट की घटना व दर्ज प्राथमिकी पर यदि उचित कार्रवाई हुई होती तो दो माह बाद छह माह की उसी गर्भवती के साथ फिर से मारपीट की घटना को अंजाम नहीं दिया जाता और नवजात की जान भी बचाई जा सकती थी। दो माह बाद पहले की प्राथमिकी के नामजद फिर से घटना को दोहराते हैं और गर्भवती को पीड़ा के साथ अपना बच्चा खोना पड़ता है, इसमें किसकी नाकामी मानी जाएगी! यह यक्ष प्रश्न ग्रामवासियों और पीड़िता के परिजनों के सामने खड़ा है।



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